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दो सौ सीटें पार नहीं कर पाएंगे मोदी !

नई दिल्ली – चौथे राउंड की पोलिंग तक तीन सौ इक्यासी सीटों के एलक्शन हो चुके, हर तरफ से यही खबरें हैं कि नरेन्द्र मोदी की बीजेपी को जबरदस्त नुकसान हुआ है। पांचवें,छठे, और सातवें राउंड में जिन 163 सीटों के एलक्शन होने हैं उनमें भी बीजेपी को कोई खास फायदा होता दिखायी नहीं देता है। इसके बावजूद मोदी और अमित शाह दोनों ही दावे कर रहे हैं कि तीसरी बार उनकी सरकार बनेगी। अमित शाह ने तो यहां तक दावा कर दिया कि वह तीन सौ सत्तर सीटें जीत चुके हैं। अगर तीन सौ सत्तर सीटें वही जीत चुके हैं तो बाकी तमाम पार्टियां क्या सिर्फ ग्यारह सीटों पर ही सिमट गयीं? यही बौखलाहट है और ऐसी बातें इसलिए की जा रही हैं ताकि बाकी सीटों पर कुछ असर पड़ सके। पर्चा नामजदगी दाखिल करने आए नरेन्द्र मोदी ने एक चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि चार सौ पार का उनका टारगेट नहीं है बल्कि देश के लोगों की ख्वाहिश है कि हमें चार सौ से ज्यादा सीटें मिलें। यह कहते वक्त मोदी भूल जाते हैं कि दक्खिन भारत की पांचों रियासतों में मिलाकर एक सौ इकत्तीस (131) सीटें है। एक सौ इकत्तीस में ज्यादा से ज्यादा बीजेपी एक दर्जन सीटें जीत सकती है बाकी देश में चार सौ बारह सीटें बचती हैं अब अगर चार सौ सीटें मोदी ही जीत लेंगे तो क्या अपोजीशन को कुछ सीटें मिलेंगी ही नहीं। मोदी और अमित शाह कुछ भी कहते रहें इन्हें सबसे बड़ा नुक्सान अड़तालिस सीटों वाले महाराष्ट्र में हो रहा है। फिर चालीस सीटों बिहार में भी हालात अच्छे नहीं हैं।

 सबसे ज्यादा अस्सी सीटों वाले उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पिछली बार बासठ सीटें जीती थी दो सीटें उनकी साथी पार्टी अनुप्रिया पटेल के अपना दल ने जीती थी इस तरह चौंसठ सीटें बीजेपी के हक में गई थीं। इस बार प्रदेश के जो हालात हैं उससे ऐसा लगता है कि बीजेपी के लिए पचास सीटें जीतना भी मुश्किल हो जाएगा। चार राउण्ड की जो पोलिंग हो चुकी है उसमें आधी से ज्यादा सीटों पर बीजेपी हारती दिखायी दे रही है। मुजफ्फरनगर और पीलीभीत सीटों पर बीजेपी को बड़ा गुरूर रहता था इस बार दोनों हारती दिख रही हैं।

मुरादाबाद में कड़ा मुकाबला था लेकिन वहां पोलिंग मुकम्मल होने के बाद बीजेपी उम्मीदवार की मौत हो गयी। अब अगर बीजेपी मुरादाबाद जीतती भी है तो वहां दोबारा एलक्शन होगा। बीजेपी ने बागपत और बिजनौर की सीटें राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी को दी थी। दोनों सीटें फंसी हुई दिख रही हैं। पीलीभीत से तीन बार लोकसभा मेम्बर रहे वरुण गांधी का टिकट काटकर पार्टी ने इस बार जितिन प्रसाद को वहां से उम्मीदवार बनाया वरुण गांधी बोले तो कुछ नहीं, खामोशी से घर बैठ गए लेकिन उनकी टीम शुरू से आखिर तक जितिन को हराने पर ही लगी रही।

उत्तर प्रदेश की जिन सीटों के एलक्शन अब होने हैं उनमें कुछ बुंदेलखंड और बाकी पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीटें हैं। इनमें अमेठी, बाराबंकी, फैजाबाद, रायबरेली, गोण्डा और कौशाम्बी की सीटों पर बीजेपी सीधी-सीधी हारती दिख रही है। इसी तरह इलाहाबाद, अम्बेडकर नगर, आजमगढ, लालगंज, श्रावस्ती सीटें भी इंडिया गठबंधन को मिलती दिख रही हैं।

जौनपुर में बीजेपी सीधे-सीधे हार रही थी लेकिन अमित शाह ने वहां से बीएसपी का उम्मीदवार मायावती से बदलवाकर और धनंजय सिंह की हिमायत बीजेपी को दिलवाकर अपने उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह को कड़े मुकाबले में तो ला दिया है लेकिन वह जीत ही जाएंगे यकीन के साथ ऐसा कहना मुश्किल है। वैसे भी जौनपुर सीट बीजेपी के लिए हमेशा से कमजोर सीट ही रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में आजमगढ़, घोसी, गाजीपुर, बलिया, भदोही, मछली शहर, श्रावस्ती, प्रयागराज (इलाहाबाद), अम्बेडकर नगर, बस्ती और डुमरियागंज में बीजेपी इस बार काफी कमजोर दिख रही है। अब अगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी कमजोर हो गयी तो कहीं से भी नहीं जीत पाएंगे। क्योकि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही जाता है।

महाराष्ट्र जो 2014 और 2019 में बीजेपी का मजबूत गढ रहा शिवसेना के साथ मिलकर दोनों बार बीजेपी ने अड़तालीस में 41-41 सीटें जीती इसबार महाराष्ट्र में जो हालात हैं उससे लगता है कि बीजेपी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी। बीजेपी ने शिवसेना तोडकर एकनाथ शिंदे को वजीर-ए-आला बनाया, इसी तरह शरद पवार की पार्टी तोड़कर उनके भतीजे अजित पवार को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया दोनों पार्टियों के लीडरान पर चल रहे बेईमानी के मुकदमे खत्म कराए, शिंदे, सेना और अजित पवार की एनसीपी दोनों का इस एलक्शन मे पूरी तरह सफाया होता दिख रहा है। एकनाथ शिंदे का बेटा लोकसभा मेम्बर है वह भी बुरी तरह हार रहा है। इंतेहा यह है कि गुजरात में बीजेपी कम से कम चार सीटें हार रही है। पिछली बार राजस्थान में बीजेपी ने सभी पच्चीस सीटें जीती थी इस बार कांग्रेस और बीजेपी को आधी-आधी सीटें मिलने का अंदाजा है। हां मध्य प्रदेश में बीजेपी मजबूत दिखती है फिर भी वहां चार से छः सीटें कांग्रेस जीत सकती है।

बिहार की चालीस सीटों में से नितीश के साथ मिलकर बीजेपी ने उनतालीस सीटें जीती थीं इस बार दोनों के बारह से पन्द्रह सीटों तक सिमट जाने की उम्मीद दिखती है। इसी तरह बंगाल में बीजेपी ने अट्ठारह सीटें जीत ली थी अब अगर आठ जीत ले तो बड़ी बात होगी। बीजेपी को सबसे बड़ा नुक्सान दिल्ली, हरियाणा, चण्डीगढ और हिमाचल प्रदेश की बाइस सीटों पर होता दिख रहा है। पिछली बार दिल्ली की सभी सात, हरियाणा की सभी दस, चंडीगढ़ की एक और हिमाचल प्रदेश की चारों सीटें बीजेपी ने जीती थी। इस बार इन बाइस सीटों में से बमुश्किल पांच सीटें बीजेपी को मिलती दिख रही है। मुख्तलिफ रियासतों की सियासी सूरतेहाल देखने के बाद भी अगर बीजेपी एलक्शन जीतने का ख्वाब देख रही है तो यह उसके दिन में ख्वाब देखने जैसा है। राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी डेढ सौ सीटों से ज्यादा नहीं जीत सकती तो ममता बनर्जी का अंदाजा है कि बीजेपी दो सौ तक पहुंच जाएगी। ममता का अंदाजा सही दिख रहा है।