किसान रक्षा रसायनों की आपूर्ति को विकास खंड की कृषि रक्षा इकाई से कर ले प्राप्त
मैनपुरी – कृषि रक्षा अधिकारी ने कृषकों को सूचित किया है कि जनपद की विकास खंड स्तर पर स्थापित कृषि रक्षा इकाईयों पर कृषि रक्षा रसायनों की आपूर्ति हो चुकी है, कृषक जायद फसल यथा मूंगफली, मक्का, मूंग, उर्द आदि में लगने वाले कीट, रोग के नियंत्रण हेतु अपने विकास खंड की कृषि रक्षा इकाई से निधार्रित मूल्य पर क्रय कर सकते हैं, जिस पर 75 प्रतिशत (ट्राइकोदर्रा, व्यूवेरिया वैसियाना) एवं 50 प्रतिशत (कारटप, हाइड्रोक्लोराइड, फेनवेलरेट, धूल, कावेर्न्डाजिम 12 प्रतिशत प्लस मैन्कोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) अनुदान डी.बी.टी. के माध्यम से देय है। उन्होने बताया कि ट्राइकोडमार् एक जैविक फफूॅदीनाशक है, फसलों में फफॅूदी जनित रोगों को नियत्रिंत करता है, मृदा जनित रोग जैसे उकठा, जड़, तना सडन आदि के नियन्त्रण में सहायक है इसकी 2.50 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हे. प्रयोग की जाती है, इसका प्रयोग बीजशोधन भूमिशोधन एवं पणीर्य छिड़काव हेतु भी किया जाता है, भूमिशोधन के प्रयोग हेतु बुवाई से 07 दिन पूवर् लगभग 70 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ मिलकर छायादार स्थान पर रखा जाता है, ऊपर से गीले जूट के बोरे से ढक दिया जाता है, प्रतिदिन बोरों को उठाकर ढेर को पलटा मारते हैं, पुनः जूट के खाली बोरों से ढक दिया जाता है। यह प्रक्रिया 07 दिन तक करनी होगी, इसके बाद तैयार कल्चर को अंतिम जुताई के समय खेत में शाम के समय प्रयोग करें।
पुलिस अधीक्षक ने पूर्व सैनिक बन्धुओं के साथ की बैठक
उन्होने बताया कि व्यूवेरिया वैसियाना यह एक जैविक कीटनाशक है, जो कि सफेद पाउडर के रूप में उपलब्ध है। इसका प्रयोग भूमिगत कीटों के नियंत्रण के हेतु एवं खड़ी फसल में बोरर, पत्ती लपेटक कीटों के नियंत्रण हेतु पणीर्य छिड़काव के रूप में भी किया जाता है। इसकी 2.50 कि.ग्रा. प्रति हे. मात्रा में प्रयोग की जाती है, भूमिशोधन के लिए प्रयोग करने हेतु ट्राइकोडमार् की तरह 07 दिन पूर्व से कल्चर तैयार करें। दीमक एवं सफेद गिडार नियंत्रण हेतु फसल बुवाई से पूर्व ही इसका प्रयोग भूमिशोधन के रूप में करें। उन्होने कृषकों से कहा है कि किसी भी कीट, रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु व्हाट्सएप नम्बर 9452247111 अथवा 9452257111 पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या व पता लिखकर मैसेज भेजकर 48 घंटे पर प्रभारी राजकीय कृषि रक्षा इकाई अथवा जनपद स्तर पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी कायार्लय से सम्पर्क कर सकते हैं।