रूस से तेल खरीदने (buying oil )पर भारत की दो टूक
अबु धाबी. रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दो टूक कहा कि रूस से कच्चा तेल खरीदने (buying oil ) को लेकर भारत किसी भी नैतिक दबाव में नहीं है. हम वहीं से तेल खरीदेंगे जहां हमें सस्ता मिलेगा.
क्या भारत रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदने को लेकर हिचक रहा है. इस पर पुरी ने कहा कि बिल्कुल नहीं, इसमें कोई नैतिक मतभेद नहीं है. अगर कोई वैचारिक स्थिति का लाभ लेना चाहता है तो इसकी कोई गुंजाइश नहीं है. हम जहां से चाहें वहां से तेल खरीद सकते हैं. हमें जहां भी कच्चा तेल उपलब्ध मिलेगा और सस्ता होगा, हम वहीं से खरीदेंगे. पुरी ने भारत की तेल खरीद का बचाव करते हुए कहा कि भारत पहले सिर्फ 0.2 फीसदी ही तेल रूस से खरीदता था. यह यूरोप के कुछ घंटों की तेल खरीद के बराबर भी नहीं था.
क्या रूस से तेल खरीद पर फायदा को फायदा हुआ
इस सवाल के जवाब में पुरी ने कहा कि सबसे पहले हमें अपना लक्ष्य देखना चाहिए. हमने वित्तवर्ष 2021-22 में रूस से सिर्फ 0.2 फीसदी तेल खरीदा जो यूरोप के मुकाबले कुछ भी नहीं था. अब हम अपनी तेल खरीद बढ़ाना चाहते हैं और अगर रूस हमें अपना तेल दे रहा है तो हम बिलकुल आगे बढ़ेंगे.
क्या बैन का बैक अप प्लान है
एंकर ने सवाल किया कि अगर अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश रूस से तेल खरीद को लेकर अपने प्रतिबंधों को आगे बढ़ाते हैं तो क्या भारत के पास कोई बैक अप प्लान है. इसके जवाब में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, हमारे पास कई बैक अप प्लान हैं. हम ऐसी कोई संभावना नहीं देख रहे जिसका आप अंदाजा लगा रहे हैं. इस बारे में हमने अमेरिका और यूरोप के साथ बातचीत भी की है और मोदी सरकार कोई दबाव महसूस नहीं कर रही. हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और हमारा विशाल बाजार कोई भी बदलाव ला सकता है.
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, सिर्फ तेल की कीमतें बढ़ने से ही महंगाई सहित तमाम मुश्किलें बढ़ जाती हैं. इसका विकल्प खोजने के लिए हम ग्रीन एनर्जी की तरफ जा रहे हैं. हालांकि, तात्कालिक जरूरतों का पूरी करने के लिए जहां भी सस्ता तेल मिलेगा, हम खरीदने जाएंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस फिलहाल भारत के सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो गया है. हालांकि, इराक अभी भी पहले स्थान पर है.
जनता के प्रति हमारी जवाबदेही है
हरदीप सिंह पुरी ने कहा, हमारे उपभोक्ताओं के प्रति कुछ नैतिक कर्तव्य हैं. हम देश की 1.30 अरब जनसंख्या को भरपूर एनर्जी सप्लाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ऐसे में हमें बड़ी मात्रा में तेल खरीद की जरूरत पड़ती है. भारत ही एकमात्र ऐसा देश रहा है जिसने कारोनाकाल में 80 करोड़ जनता को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया है. पेट्रोल-डीजल सस्ता रखने के लिए सरकार ने अपना राजस्व और टैक्स भी घटा दिया है.
हमें तो सस्ता तेल चाहिए
पुरी ने कहा, देश में एनर्जी की खपत बढ़ रही है और इस मांग को पूरा करने के लिए हमें जहां भी सस्ता तेल मिलेगा, हम खरीदेंगे. हमने गुयाना के मंत्री से बात की है, वे एक प्रोडक्शन कंपनी लगाना चाहते हैं. हम कनाडा से भी तेल खरीदते हैं और अमेरिका से भी. ओपेक तो हमारा सबसे बड़ा सप्लायर है ही. हमने रूस से तेल खरीद जब शुरू की, जब इसके भाव ग्लोबल मार्केट में 200 डॉलर प्रति बैरल की तरफ जा रहे थे.