महिलाएं डर को सूंघकर भांप लेती हैं.
क्या सूंघने से यह पता लगाया जा सकता है कौन दुख में हैं और कौन सुख में. अगर आप महिला हैं तो शायद आप इसे सूंघकर भांप सकती हैं. यह बात हम नहीं बल्कि एक अध्यन में सामने आई है. डेली मेल की खबर के अनुसार स्टडी में यह पाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति चिंता या डर में है, तो उसे सूंघकर महिला के मन में एक अजीब सी हलचल मचती है. वह अपनी ज्ञानेंद्रियों से यह भांप सकती है कि कोई चिंता या दुख में है या नहीं. हेनरिच हीने यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अध्यन में पाया गया है कि महिलाएं पसीना सूंघकर डर को भांप लेती हैं.
शोधकर्ताओं ने कहा, जब कोई महिला किसी डर या चिंता से बेचैन किसी के पसीने को सूंघती हैं, तो उसके व्यवहार में अचानक परिवर्तन आने लगता है. यह इस बात को साबित करती है कि महिला व्यक्ति के दुख से संवेदनशील हो जाती हैं. वैज्ञानिकों ने इसके लिए कुछ सैंपल महिलाओं को दिए. दरअसल, एक सार्वजनिक सभा के दौरान कुछ पुरुषों को बोलना था. आमतौर पर बोलने से पहले अधिकांश लोगों में डर या चिंता होने लगती है. शोधकर्ताओं ने सभी बोलने वाले लोगों से पसीने के सैंपल लिए और 214 महिला और पुरुषों को इसे सूंघने के लिए दिया गया. इससे पहले सभी महिलाओं को मनोवैज्ञानिकों की सलाह पर कुछ गेम खेलने के लिए टास्क दिया गया. जब महिलाओं ने चिंतित लोगों का पसीना सूंघा, तो उनके व्यवहार में परिवर्तन आ गया. चिंतित पुरुषों का पसीना सूंघने के बाद महिलाएं गेम के दौरान जोखिम लेने से बचती रही और फाइनेंशियल मामले में बहुत ज्यादा सतर्क हो गईं.
हैरानी की बात यह है कि इसी तरह के गेम पर पुरुषों के व्यवहार में किसी तरह का परिवर्तन नहीं देखा गया जबकि पुरुषों को भी चिंता करने वाले लोगों के पसीने सूंघाए गए थे. हेनरिच हीने यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह परिणाम महिलाओं के सामाजिक संवेदनशीलता को दर्शाता है. उन्होंने कहा, खतरनाक स्थितियों में चिंता या डर के संकेतों के आधार पर ही हमारी महिला पूर्वज अपने सामाजिक नेटवर्क को बढ़ाया करती थीं.
उदाहरण के लिए अगर कोई शिकारी पशु घात लगाए हुए बैठा हुआ रहता था, तो मां इस खतरे को भांप कर अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक उपाय की रणनीति बनाती थी. इसमें कई लोग एक साथ रहते थे. यही चलन आज तक कायम है. शोधकर्ताओं ने कहा कि चिंता के संदेश को पाकर इन महिलाओं ने जो संवेदनशीलता दिखाई, वह पुरुषों में बिल्कुल भी नहीं थी.