सरकार के बैटरी स्टोरेज पर काम करने हेतु ४५००० करोड़ की योजना को कैविनेट की मंजूरी

नई दिल्ली: कोरोना संकट के दौरान पिछड़ गए मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को फिर से गति देने की तैयारी शुरू हो गई. सरकार ने फैसला लिया है कि बैटरी स्टोरेज बढ़ाने के लिए नए प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव के तहत आयात कम किया जाएगा. इसके बजाय भारत में इसका उत्पादन शुरू किया जाएगा. इससे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल को काफी बढ़ावा मिलेगा.
दिल्ली में बुधवार को आयोजित हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया कि सोलर पावर प्लांट से देश में एक लाख 36 हजार गीगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसके बावजूद इस बिजली को स्टोर नहीं किया जा सकता. ऐसे में बैटरी स्टोरेजसे ये सब संभव है. सरकार ने कहा कि जो इलेक्ट्रिकल व्हीकल लेगा उसको पेट्रोल नहीं लेना होगा
सरकार ने कहा कि शिपिंग, उद्योग, डीजल जनरेटर आदि में अपार संभावना है. बैटरी स्टोरेज से जीवन के सभी क्षेत्रों पर असर पड़ता है. देश में इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसमें 45000 करोड़ रुपये का निवेश होगा. इसमें निवेश करने वालों को 16000 करोड़ रुपये का इंसेंटिव मिलेगा.
देश में कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप पर सरकार ने फैसला किया कि वह एक दिन छोड़कर नियमित रूप से प्रेस वार्ता करके वैक्सीनेशन की स्थिति देश के सामने रखेगी. साथ ही मीडिया के जरिए आम लोगों को उनके सवालों का जवाब देने की कोशिश की जाएगी, जो जनता के मन में उठ रहे हैं
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि कोरोना वायरस शताब्दी में आने वाला संकट है. प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा संकट जब भी आता है तो पूरा देश एकजुट हो कर उसका मुक़ाबला करता है. इस बार भी देश एकजुट होकर इस संकट से बाहर निकल जाएगा