अमेरिका, यूरोप समेत कई देशों को सरकार अब नैनो यूरिया खाद का करेगी निर्यात
नई दिल्ली. मोदी सरकार ने नैनो यूरिया को लेकर एक बार फिर से बड़ा ऐलान किया है. केंद्र सरकार ने नैनो यूरिया का निर्यात करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि एक वर्ष में नैनो यूरिया (तरल) उर्वरक के कुल उत्पादन के 20% से अधिक का निर्यात नहीं किया जाएगा. इस वर्ष 15 मिलियन बोतलों की वार्षिक उत्पादन क्षमता के मुकाबले 30 लाख बोतलों का निर्यात किया जाएगा. इफको यूरोप, अमेरिका, श्रीलंका, नेपाल, केन्या, तंजानिया, थाईलैंड और कनाडा के विभिन्न देशों में नैनो यूरिया (तरल) का निर्यात करेगा.
बता दें कि एक सप्ताह पहले ही केंद्र सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने नैनो यूरिया की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए दो एमओयू इफको और नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड यानी एनएफएल और इफको और राष्ट्रीय केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के बीच कराया था. केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद अब देश में नैनो यूरिया का उत्पादन और बढ़ जाएगा. इसी को ध्यान में रखते हुए अब नैनो यूरिया का निर्यात करने का फैसला किया गया है
बता दें कि ‘मेक इन इंडिया’ अब सही मायने में ‘मेकिंग फॉर द वर्ल्ड’ भी बनता जा रहा है. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) को अन्य देशों में तरल नैनो यूरिया निर्यात करने की अनुमति दी है. 31 मई, 2021 को इफको ने अपनी 50वीं वार्षिक आम सभा की बैठक में किसानों के लिए दुनिया का पहला नैनो यूरिया लिक्विड पेश किया था. इफको 1 जून, 2021 से अपने कलोल संयंत्र में नैनो यूरिया (तरल) के वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया था. संयंत्र प्रति दिन 1.5 लाख बोतलों की उत्पादन क्षमता है. इफको ने 5 जून, 2021 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर किसानों को नैनो यूरिया की बोतलों की आपूर्ति शुरू की.
नैनो तकनीक आधारित नैनो यूरिया (तरल) उर्वरक का उद्देश्य फसल उत्पादकता, मिट्टी के स्वास्थ्य और उपज की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना है. हाल ही में 94 फसलों पर किए गए देशव्यापी परीक्षणों में उपज में औसतन 8% की वृद्धि देखी गई है. नैनो यूरिया सतत विकास की ओर अग्रसर जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव के साथ ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा. इफको नैनो यूरिया लिक्विड पारंपरिक यूरिया बैग की तुलना में लगभग 10% सस्ता है. इससे किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय बचत होगी जिससे पीएम मोदी द्वारा निर्धारित किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी.