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एड्स की दवा बनाने में होता है यूज, BMW कार से भी कीमती है यह छिपकली

पटना.बिहार और नेपाल के जंगलों में पाई जाने वाली दुर्लभ छिपकली ‘गीको’ की कीमत आपको चौका सकती है। इंटरनेशनल ब्लैक मार्केट में इसकी कीमत 40 लाख रुपए तक है। इससे कम में BMW 1 सीरीज और मर्सडीज बेंज की A और B क्लास की कारें आ जाती हैं। बिहार के किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में भारत-नेपाल सीमा से एसएसबी की 19वीं बटालियन ने एक गीको के साथ चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। गीको के मांस से होता है एड्स और नपुंसकता का इलाज…
गीको के मांस का उपयोग दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में डायबिटीज, कैंसर, नपुंसकता और एड्स की परंपरागत दवाइयों के निर्माण में होता है। इसकी मांग चाइनीज ट्रेडिशनल मेडिसिन में भी है। वहीं, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों में इसे लोग खाते भी है। इन्हीं सब कारणों से गीको की मांग इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा है। भारत-नेपाल सीमा पर वन्यजीवों की तस्करी अधिक होती है। तस्कर खुली सीमा होने का लाभ उठाते हैं।
विलुप्त होने की कगार पर है गीको
गीको पूर्वोत्तर भारत, नेपाल, बांग्लादेश, दक्षिण-पूर्व एशिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया और पश्चिमी न्यू गिनी में पाया जाता है। जंगलों की कटाई से गीको के रहने के जगह खत्म होते जा रहे हैं। इससे उनकी संख्या कम हो रही है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर होने वाली तस्करी ने इस छिपकली को विलुप्त होने के कगार पर ला दिया है।

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