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एक बार फिर हुई फिसड्डी चीनी कोरोना वैक्सीन, ड्रैगन का थोथला दावा

बीजिंग :कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में चीनी वैक्सीन एक बार फिर से टेस्ट में फिसड्डी साबित हुई है। चीनी वैक्सीन ‘साइनोवैक’ कोरोना संक्रमण से बचाव में सौ फीसदी कारगर होने के दावे पर खरी नहीं उतर पाई है। ब्राजील में स्वास्थ्यकर्मियों पर हुए परीक्षण में यह सार्स-कोव-2 वायरस के खिलाफ महज 50.39 फीसदी प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में कामयाब मिली है।

रियो डि जिनेरियो के हॉस्पिटल दास क्लीनिकास में 18 से 21 जनवरी के बीच 22402, जबकि 14 से 16 फरवरी के दरमियां 21652 स्वास्थ्यकर्मियों को ‘साइनोवैक’ की पहली खुराक लगाई गई थी। शोधकर्ता हर हफ्ते लाभार्थियों में पनपने वाले कोविड-19 से जुड़े लक्षणों पर नजर रख रहे थे। दूसरी खुराक के दो से पांच हफ्तों बाद तक भी लाभार्थियों की सेहत परखी गई। इस दौरान 390 स्वास्थ्यकर्मी टीकाकरण के बावजूद कोरोना संक्रमण की जद में आ गए। 142 लाभार्थियों में कोविड-19 के गंभीर स्वरूप ‘पी-1’ का संक्रमण देखने को मिला।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ‘साइनोवैक’ की दोनों खुराक लगने के दूसरे और तीसरे हफ्ते में वायरस के खिलाफ क्रमश: 50.7 फीसदी व 51.8 फीसदी प्रतिरोधक क्षमता पैदा होने की बात सामने आई है। हालांकि, बड़ी संख्या में ‘पी-1’ संक्रमण के मामले मिलना इस बात का संकेत है कि वैक्सीन नए स्वरूप पर ज्यादा प्रभावी नहीं है।

इससे यह भी साबित होता है कि नया स्वरूप क्षेत्र में तेजी से पांव पसार रहा है। ‘पी-1’ ने नवंबर 2020 में ब्राजील के एमेजॉन क्षेत्र में दस्तक दी थी। सात हफ्तों के भीतर यह इस कदर फैल गया था कि कुल मामलों में से 87 फीसदी में संक्रमण के लिए यही जिम्मेदार था। शोध के नतीजे ‘मेडआरएक्सआईवी’ ऑनलाइन जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

 

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