प्रयागराज
खरमास आज से शुरू, सभी शुभ व मांगलिक कार्य एक माह बन्द

प्रयागराज । इस वर्ष 14 दिसम्बर से खरमास लग रहा है, जो मकर संक्रान्ति यानि 14 जनवरी 2022 पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन से समाप्त हो जायेगा। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। चतुर्मास की तरह खरमास में भी कोई मांगलिक यानी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। खरमास समाप्त होने के बाद मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. देवकी नन्दन मिश्र का कहना है कि इसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है। खरमास के दिनों में सूर्य देव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इसके चलते बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं, गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं। गुरु कमजोर रहने से शादी में देर होती है। साथ ही रोजगार और कारोबार में भी बाधा आती है। इसके चलते खरमास के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। विवाह के लिए शुक्र और गुरु दोनों का उदय होना आवश्यक है। यदि दोनों में से एक भी अस्त होगा तो मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वर्ष 2022 में 23 फरवरी को गुरु अस्त होंगे और 26 मार्च को उदय होंगे। 6 जनवरी को शुक्र अस्त होंगे और 12 जनवरी को उदय होंगे। इसके अलावा एक अक्टूबर को शुक्र अस्त होंगे और 25 नवम्बर को उदय होंगे। इस कारण से सगाई, मुंडन, शादी, नामकरण, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, आदि नहीं किए जाते।
ज्योतिषाचार्य पं. देवकी नन्दन मिश्र का कहना है कि इसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है। खरमास के दिनों में सूर्य देव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इसके चलते बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं, गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं। गुरु कमजोर रहने से शादी में देर होती है। साथ ही रोजगार और कारोबार में भी बाधा आती है। इसके चलते खरमास के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। विवाह के लिए शुक्र और गुरु दोनों का उदय होना आवश्यक है। यदि दोनों में से एक भी अस्त होगा तो मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वर्ष 2022 में 23 फरवरी को गुरु अस्त होंगे और 26 मार्च को उदय होंगे। 6 जनवरी को शुक्र अस्त होंगे और 12 जनवरी को उदय होंगे। इसके अलावा एक अक्टूबर को शुक्र अस्त होंगे और 25 नवम्बर को उदय होंगे। इस कारण से सगाई, मुंडन, शादी, नामकरण, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, आदि नहीं किए जाते।