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मैं जो भी हूं सुशांत की वजह से हूं, लेकिन अब डर लगता है

टीवी और फिल्मों के मशहूर ऐक्टर गुरमीत चौधरी और सुशांत सिंह राजपूत पक्के दोस्त थे। सुशांत की तरह ही गुरमीत ने भी टीवी से फिल्मों का सफर तय किया। सुशांत की मौत से गुरमीत बेहद आहत हैं। एक्सक्लूसिव बातचीत में गुरमीत ने कहा कि उनके घर के हर कोने में सुशांत की यादें बसी हैं। वह आज जो भी हैं, सुशांत की वजह से हैं। गुरमीत ने अपने करियर का पूरा श्रेय सुशांत को दिया है। वह कहते हैं कि यदि सुशांत टीवी से फिल्मों में नहीं जाते तो आज उन्हें भी शायद फिल्मों में काम नहीं मिलता।गुरमीत आगे कहते हैं, सुशांत ने हमलोगों के लिए एक राह बनाई। यदि वह फिल्मों में नहीं जाते और सफल नहीं होते तो शायद बॉलिवुड के मेकर्स कहते कि मुझसे कहते कि तुम्हें टीवी में दर्शकों ने खूब देखा है, भला बड़े पर्दे पर पैसा लगाकर कौन देखेगा। सुशांत ने टीवी सितारों को लेकर बॉलिवुड को नजरिया बदल दिया। सुशांत ने वह दीवार तोड़ी और इसी के बाद मैं भट्ट कैम्प की फिल्म से बॉलिवुड डेब्यू कर पाया। गुरमीत ने यह भी बताया कि वह और सुशांत बिहार के एक ही गांव से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में उनसे शुरू से एक गहरा नाता रहा है। गुरमीत चौधरी ने लोगों से अपील की है कि वह सुशांत के बारे में कुछ भी बोलने से पहले एक बार जरूर सोचें। वह कहते हैं, हम सभी को सुशांत की फैमिली की भावनाओं का खयाल रखना चाहिए। कुछ भी बोलने से पहले सोचना चाहिए कि उस परिवार पर क्या बीत रही है। मैं भी जानना चाहता हूं कि सच्चाई क्या है। सुशांत मेरा अपना था। मेरे घर के सोफे, कमरे के हर कोने में सुशांत की यादें बिखरी हैं। उनकी बहुत याद आती है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कहीं ना कहीं फिल्म और टीवी इंडस्ट्री को लेकर लोगों की एक अलग सोच बनने लगी है। इसका असर सबसे ज्यादा ऐक्टर्स की फैमिली पर हुआ है। गुरमीत बताते हैं, मुझे भी घरवालों और दोस्तों के खूब फोन कॉल्स आ रहे हैं। सब के अंदर एक डर बस गया है। लोग मुझसे कह रहे हैं कि तुम कुछ गलत मत करना, हम तुम्हारी फिल्में देखेंगे। इंडस्ट्री में बहुत कॉम्पिटिशिन है। यहां मेंटली स्ट्रॉन्ग रहना पड़ता है। फिल्में फ्लॉप होती हैं तो निराशा और चिंता होती है। करियर खत्म होने का डर रहता है। ऐसे में फैमिली का साथ रहना बहुत जरूरी है। गुरमीत कहते हैं कि उनकी पत्नी और ऐक्ट्रेस देबिना उनका सपॉर्ट सिस्टम है। चिंता और निराशा के वक्त देबिना उन्हें राहत देती हैं। साल 2008 में टीवी पर रामायण में गुरमीत चौधरी और देबिना बनर्जी की जोड़ी ने कमाल कर दिया। इस नए राम-सीता की जोड़ी को दर्शकों ने खूब प्यार दिया। सीरियल के सेट पर ही दोनों को प्यार हो गया। 2011 में दोनों ने शादी कर ली। गुरमीत कहते हैं, मैं देबिना के बिना अधूरा हूं। हर मुश्किल घड़ी में देबिना मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ी रहती है। मैं थोड़ा बदमाश हूं, लेकिन देबिना मुझे कंट्रोल करती है। जब मैं ज्यादा उडऩे लगता हूं तो वह मुझे जमीन पर ले आती है। गुरमीत ने बताया कि कैसे उन्हें बड़े बैनर्स ने शूटिंग के बाद रिप्लेस कर दिया था। उनके लिए यह सपना टूटने जैसा था। वह कहते हैं, कभी-कभी डर भी आपको बचाता है। मैंने भी खूब ठोकरें खाई हैं। लेकिन अपने काम से जवाब देना चाहता हूं। गुरमीत कहते हैं कि जिन ऐक्टर्स के सामने उन्हें रिप्लेस किया गया, उनका सामना करने में शर्म आती थी। उन्हें देखते ही मैं मुंह छुपा कर घूमता था। गुरमीत ने अपनी बातचीत में राम बनने की पूरी कहानी बताई। वह कहते हैं कि उनका कॉम्पिटिशिन सबसे फेमस अरुण गोविल से था, वह इस बात को जानते थे। इसलिए उन्होंने मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने राम के किरदार को अपनी जिंदगी में उतार लिया था। गुरमीत कहते हैं, मैं उन दिनों ऑफ कैमरा भी राम के किरदार की तरह ही बातें करने लगा था। मेरे आस-पास के लोग और यहां तक कि देबिना को भी चिंता होने लगी थी। गुरमीत 2004 से ऐक्टिंग करियर में एक्टिव हैं। फिल्मों में भी काम किया है। लेकिन उनके पिता को सबसे ज्यादा खुशी तब हुई थी, जब वह राम बने थे। वह कहते हैं, रामायण में राम बना तो सबसे ज्यादा खुश मेरे पापा हुए। ऐसा इसलिए था कि उनका खुद का नाम सीताराम है। गुरमीत मानते हैं कि उन्होंने और देबिना ने शादी कर इतिहास रचने का काम किया। ऐसा इसलिए कि हिंदुस्तान में अभी तक किसी भी माइथोलॉजकिल सीरियल के किसी भी फेमस कैरेक्टर्स ने असल जिंदगी में आपस मे शादी नहीं की है।

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