उत्तर प्रदेश

अंबेडकरनगर के ग्रामीणों ने श्रवण धाम मंदिर बनाकर शुरू की पूजा-अर्चना

अंबेडकरनगर । अयोध्या (Dham Mandir) से 60 किलोमीटर दूर अंबेडकरनगर के वन्य क्षेत्र में श्रवण कुमार ने अपने प्राण त्यागे थे। इसका जिक्र तुलसीदास की रामायण में भी है। गर्मी के दिनों में शीतल पेयजल की उपलब्धता के लिए पांच वाटर कूलर स्थापित किए जाने की जरूरत है। साथ ही पूरे मंदिर परिसर की बिल्डिंग को नए सिरे से बनाए जाने की लोगों ने आवश्यकता बताई है।

इसके बाद ग्रामीणों ने यहां श्रवण धाम मंदिर (Dham Mandir) बनाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दिया। मान्यता है कि श्रवण कुमार के पदचिह्नों पर सावन महीने में कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई। धाम स्थल पर सालभर में दो बार शिवरात्रि को एक दिन और अगहन पूर्णिमा को पांच दिनों तक मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु श्रवण धाम पहुंचकर समाधि पर मत्था टेकते हैं।

श्रवण की मौत के बाद राजा दशरथ को पश्चाताप हुआ और वह उनके प्यासे माता-पिता को जल पिलाने पंहुचे, लेकिन दूसरे की आवाज सुनकर माता-पिता ने जल पीने से इनकार कर दिया और पुत्र वियोग में राजा को श्राप देकर श्रवण अपने प्राण त्याग दिए। 1995 में बीजेपी सरकार में तत्कालीन विधायक ने इसको पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की।

शासन की ओर से 14 लाख 70 हजार का बजट दिया गया, लेकिन थोड़ा बहुत निर्माण कराकर छोड़ दिया गया। इसके बाद से आज तक यह तीर्थ स्थल बदहाल है। कई बार मांग करने पर कोई सुनवाई नहीं हुई। लाखों लोगों के आस्था का केंद्र आज भी उपेक्षा की शिकार है। इस राशि से घाट के बगल स्थित नया घाट, कपड़ा चेंजर, शौचालय, कुटी के अंदर मार्बल व मार्ग प्रकाश के लिए चार बड़ी लाइट लगाई गई है। लेकिन इसको पर्यटन स्थल नहीं घोषित किया गया। अव्यवस्थाओं के चलते अब श्रावण मास में आने वाले कांवड़ियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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