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किसानों के लिये दुखदाई बनी लालगढ़ी की सकरी पुलिया,सकरे पाइपों में अटक जाता है कूड़ा करकट,किसानों ने की सफाई

किशनी, किशनी माइनर पर बनी लालगढ़ी की सकरी पुलिया क्षेत्र के किसानों की बर्बादी का मुख्य कारण है। यहाँ ह्यूम पाईप की जगह स्लैब पड़ी होती तो हैड की ओर से आने वाला पानी बिना रुकाबट के टेल की तरफ जाता रहता।
किशनी माइनर पर हैड से दो किमी के बाद लालगढ़ी के सामने पहले नहर विभाग की पैदल पुलिया थी जो दो दशक पहले टूट गई। बाद में पीडब्ल्यूडी विभाग ने दो ह्यूम पाइप डालकर एक कामचलाऊ पुलिया सकरी बनाकर ऊपर से सड़क निकाल ली।

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अब जब माइनर में पानी छोड़ा जाता है तब हैड की ओर से पानी के साथ बहकर आने वाला कूड़ा करकट, मृत मवेशी आदि छोटे आकार के ह्यूम पाइपों में अटक जाते हैं या शरारती लोगों द्वारा जानबूझकर अटका दिये जाते हैं। जिससे जल निकास अवरूद्ध होने से हैड की ओर पानी का तनाव बढ़ जाता है। जिससे पानी ओवरफ्लो होकर या खंदी फटने से बरुआ पुखरी, खिरिया, रूपपुर, गिलोय,रामनगर, देबीगंज व मकरंदपुर की ओर चला जाता है। यह पानी खरीफ की फसल में फायदेमंद लेकिन आजकल रबी की फसल में नुकसान दायक साबित होता है।
किसानों की मांग है कि लालगढ़ी की पुलिया से ह्यूम पाइप की जगह स्लैब डालकर पुलिया बने तो हैड की ओर से आने वाला पानी बिना रुकाबट आगे बढ़ता रहे। गौर तलब है की माह सितंबर में भारतीय किसान यूनियन (किसान) के बैनर तले जिलाध्यक्ष अनुरुद्ध दुबे की अगुआई में किसानो 25 दिनों तक धरना दिया था। धरने पर आए एडीएम रामजी मिश्रा को दिए ज्ञापन में भी उक्त पुलिया के बारे में अवगत कराया गया था।पर प्रशासन द्वारा अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया।लालगढ़ी पर नई पुलिया की मांग करने वालों में रामशरन, गिरीश कुमार, जबर सिंह, ऋषि यादव, विकास, प्रदीप कुमार, प्रधान संजीब कुमार , सहदेव सिंह, सुखदेव सिंह तोमर, अनुज कुमार, प्रमोद शाक्य, रामौतार यादव , विनोद चौहान आदि के नाम शामिल हैं।

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