पाकिस्तान (Pakistan)में ईसाइयों का ऐसा बुरा हाल
पेशावर. पाकिस्तान (Pakistan) में अल्पसंख्यक समुदाय की दयनीय स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं. इसे यहां के ईसाई समुदाय की हालत ऐसी हो गई है कि उन्हें एक ही कब्र में 5 से 10 शवों को दफनना पड़ रहा है, जो पहले से ही कंकालों और हड्डियों से भरी होती हैं. बताया गया कि पेशावर और खैबर पख्तूनख्वा के अन्य शहरों में रहने वाले 70,000 से अधिक ईसाइयों के लिए महज चार कब्रिस्तान हैं.
पेशावर में ईसाई समुदाय के एक प्रतिनिधि ऑगस्टिन जैकब ने बताया कि यहां पुरानी कब्रों को खोदा जा रहा है ताकि मृतकों को दफनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सके. उन्होंने कहा कि दरअसल जनसंख्या बढ़ने के बावजूद इस पहलू पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा हुई है, लेकिन प्राधिकरण की ओर से कब्रिस्तान के लिए शहर से बाहर जमीन देने की बात गई है, लेकिन ईसाई समुदाय के लिए इससे और समस्या खड़ी हो सकती है.
शहर से बाहर दी जा रही कब्रिस्तान की जमीन
ऑगस्टिन जैकब के हवाले से बताया, ‘प्रशासन हमें जो जगह दे रही है वह पेशावर के बाहर है. लोगों के लिए इन आर्थिक परिस्थितियों में जिंदा रहना मुश्किल हो रहा है, वे भला मृतकों को दफनाने के लिए वाहनों का खर्च कैसे उठाएंगे.’
जैकब ने कहा कि ईसाई समुदाय को शहर में ऐसी जगह चाहिए जहां लोग आसानी से पहुंच सकें. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश ईसाई मजदूर वर्ग के हैं और नए कब्रिस्तान के लिए जमीन खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।
सरकार ने 7 कब्रिस्तानों के लिए आवंटित किए 5 करोड़ रुपये
खैबर पख्तूनख्वा प्रशासन ने मार्च 2019 में हिंदू समुदाय के लिए पांच श्मशान घाटों और ईसाइयों के लिए सात कब्रिस्तानों के निर्माण के लिए साढ़े 7 करोड़ पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) आवंटित किए थे. अधिकारियों ने कहा कि इनमें से 2.4 करोड़ पाकिस्तानी रुपये पांच श्मशान घाटों के निर्माण के लिए और 5.1 करोड़ पाकिस्तानी रुपये सात ईसाई कब्रिस्तानों के लिए जमीन खरीदने के लिए आवंटित किए गए.
अधिकारियों के हवाले से बताया कि पेशावर में श्मशान घाट के लिए चार कनाल जमीन और खैबर पख्तूनख्वा के हंगू, बन्नू, डेरा इस्माइल खान और अब शेरा जिलों में दो-दो कनाल जमीन की खरीद को संबंधित विभाग ने मंजूरी दे दी है.
ईसाई कब्रिस्तान पर आपत्ति जता रहे स्थानीय मुसलमान
अधिकारियों के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने पेशावर में ईसाई कब्रिस्तान के लिए छह कनाल, मरदान, कोहाट, स्वाबी और लोअर दीर में पांच-पांच कनाल और स्वात तथा नौशेरा जिलों में चार-चार कनाल जमीन की खरीद को मंजूरी दी है.
वहीं पेशावर की एक सामाजिक कार्यकर्ता अलाइका खान कहती है कि, ‘सरकार ने कब्रिस्तान के लिए जमीन आवंटित की थी, लेकिन स्थानीय मुस्लिम समुदाय उन्हें कब्रिस्तान बनाने की अनुमति नहीं दे रहा है. खान ने इस मामले में सरकार से तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया, क्योंकि वे पुरानी कब्रों में मृतकों को दफनाने के लिए मजबूर हैं.