प्रधानमंत्री ने वीर बलिदान दिवस मनाने की घोषणा की

( रामजी लाल गोस्वामी)
मैनपुरी ( ब्यूरो रिपोर्ट) :इबाल दिवस पर सुदिती ग्लोबल एकेडमी, मैनपुरी में साहिबजादों के बलिदान को याद किया गया।छात्र-छात्राओं ने साहिबजादों के बलिदान दिवस पर दिल्ली में आयोजित लाइव प्रसारण देखा एवं प्रधानमंत्री के उदबोधन को भी सुना।ज्ञातव्य है कि वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के चारों पुत्रों की शहादत को याद करने के लिए मनाया जाता है।
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इन वीर बालकों की स्मृति को सदैव बनाये रखने एवं उनकी शहादत से अपने देश एवं धर्म के लिये के लिये बलिदान होने की प्रेरणा लेने हेतु प्रधानमंत्री ने वीर बलिदान दिवस मनाने की घोषणा की है। इसी क्रम में आज शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय सुदिती ग्लोबल एकेडमी, मैनपुरी में वीर बाल दिवस मनाया गया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डा0 राम मोहन ने बताया कि वीर बाल दिवस हमारेे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन सभीे चार छोटे बच्चों के बलिदान को याद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। हम सब इन बच्चों से प्रेरणा लेते हैं कि अपने धर्म और अपने देश के लिए बलिदान देने के लिए तैयार रहना है। वीर बाल दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें सिखाता है कि धर्म और देश के लिए बलिदान देना कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हम अपने धर्म और अपने देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वीर बाल दिवस हमें एक आदर्श और एक प्रेरणा देता है.
गुरु गोविन्द सिंह के चार पुत्रों का नाम साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह, साहिबजादा फतेह सिंह और साहिबजादा तेज बहादुर सिंह था। वे सभी बहुत ही कम उम्र में थे, लेकिन उन्होंने अपने धर्म और अपने पिता के लिए बहुत बहादुरी से लड़ाई लड़ी।
वीर बाल दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें सिखाता है कि धर्म और देश के लिए बलिदान देना कितना महत्वपूर्ण है. यह हमें यह भी सिखाता है कि हम अपने धर्म और अपने देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं। वीर बाल दिवस हमें एक आदर्श और एक प्रेरणा देता है।
साल 1675 में, मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा। गुरु गोविंद सिंह ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, और उन्होंने अपने चारों पुत्रों को औरंगजेब के सामने शहीद होने के लिए भेज दिया। साहिबजादा अजीत सिंह को सबसे पहले मार दिया गया था। उसके बाद, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। औरंगजेब ने फिर साहिबजादा तेज बहादुर सिंह को मारने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने भी साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी और शहीद हो गए।
बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह महज 9 और 7 साल के थे जब उन्हें मुगलों ने बंदी बना लिया था. मुगलों ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने धर्म और अपने गुरु के लिए मरना पसंद करेंगे. मुगलों ने क्रूरता के साथ इन दोनों बच्चों को मार डाला।
वीर बाल दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन हमें सिखाता है कि धर्म और देश के लिए लड़ना कितना महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि बच्चे भी बहुत बहादुर हो सकते हैं।इस अवसर पर समस्त छात्र-छात्रायें, शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
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इन वीर बालकों की स्मृति को सदैव बनाये रखने एवं उनकी शहादत से अपने देश एवं धर्म के लिये के लिये बलिदान होने की प्रेरणा लेने हेतु प्रधानमंत्री ने वीर बलिदान दिवस मनाने की घोषणा की है। इसी क्रम में आज शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय सुदिती ग्लोबल एकेडमी, मैनपुरी में वीर बाल दिवस मनाया गया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डा0 राम मोहन ने बताया कि वीर बाल दिवस हमारेे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन सभीे चार छोटे बच्चों के बलिदान को याद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। हम सब इन बच्चों से प्रेरणा लेते हैं कि अपने धर्म और अपने देश के लिए बलिदान देने के लिए तैयार रहना है। वीर बाल दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें सिखाता है कि धर्म और देश के लिए बलिदान देना कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हम अपने धर्म और अपने देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वीर बाल दिवस हमें एक आदर्श और एक प्रेरणा देता है.
गुरु गोविन्द सिंह के चार पुत्रों का नाम साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह, साहिबजादा फतेह सिंह और साहिबजादा तेज बहादुर सिंह था। वे सभी बहुत ही कम उम्र में थे, लेकिन उन्होंने अपने धर्म और अपने पिता के लिए बहुत बहादुरी से लड़ाई लड़ी।
वीर बाल दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें सिखाता है कि धर्म और देश के लिए बलिदान देना कितना महत्वपूर्ण है. यह हमें यह भी सिखाता है कि हम अपने धर्म और अपने देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं। वीर बाल दिवस हमें एक आदर्श और एक प्रेरणा देता है।
साल 1675 में, मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा। गुरु गोविंद सिंह ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, और उन्होंने अपने चारों पुत्रों को औरंगजेब के सामने शहीद होने के लिए भेज दिया। साहिबजादा अजीत सिंह को सबसे पहले मार दिया गया था। उसके बाद, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। औरंगजेब ने फिर साहिबजादा तेज बहादुर सिंह को मारने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने भी साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी और शहीद हो गए।
बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह महज 9 और 7 साल के थे जब उन्हें मुगलों ने बंदी बना लिया था. मुगलों ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने धर्म और अपने गुरु के लिए मरना पसंद करेंगे. मुगलों ने क्रूरता के साथ इन दोनों बच्चों को मार डाला।
वीर बाल दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन हमें सिखाता है कि धर्म और देश के लिए लड़ना कितना महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि बच्चे भी बहुत बहादुर हो सकते हैं।
इस अवसर पर समस्त छात्र-छात्रायें, शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।