प्रयागराज

भक्ति मार्ग में अति मोह बाधक बनता है , पंडित चेतन शास्त्री श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन हुआ भरत चरित्र का भावपूर्ण वर्णन !

प्रयागराज -:  राजर्षि टंडन सेवा केंद्र बैंक रोड,शहर में चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा व्यास पं. चेतन शास्त्री जी ने राजा भरत के चरित्र का भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी वर्णन किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर कथा श्रवण का लाभ ले रहे हैं। कथावाचक पं. चेतन शास्त्री ने बताया कि राजा भरत ने अपने जीवन में राजपाट, सुख- सुविधाओं को त्यागकर भगवान नारायण की भक्ति को सर्वोपरि माना और वन में तपस्या हेतु चले गए।
                  परंतु एक मृग शावक से अत्यधिक मोह के कारण वे अपने अंतिम समय में भगवान का स्मरण न कर सके, जिससे उन्हें अगले जन्म में हिरण योनि प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने जड़ भरत के रूप में जन्म लिया और पूर्ण वैराग्य का जीवन जीते हुए अपने ज्ञान एवं व्यवहार से राजा रहूगण को भी आत्मज्ञान प्रदान किया। कथा के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि भक्ति मार्ग में अति मोह बाधक बनता है और केवल ईश्वर में ही चित्त एकाग्र करना चाहिए।
                        इस अवसर पर यजमान “लोकसेवक मंडल एवं अनाम स्नेह” के कार्यकर्ता मनोज कुमार केशरवानी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अंजू केशरवानी उपस्थित रहे। आयोजन में  अवसर पर लोकसेवक मंडल के सचिव ब्रह्म प्रकाश तिवारी एवं अनाम स्नेह के संयोजक श्रीनारायण यादव, बरिष्ठ समाजसेवी कर्मचारी नेता रविशंकर मिश्र, लवलेश सिंह मंडल अध्यक्ष दिव्यांग प्रकोष्ठ भाजपा, कपिल तिवारी सहित अनेक कार्यकर्ता पदाधिकारीगण एवं श्रद्धालु भारी संख्या में उपस्थित रहे।
          जिसमे नीरज केशर वानी, राकेश धुरिया, गया प्रसाद केशरवानी, राम गोपाल केशरवानी, प्रीती रानी तिवारी, मधू, प्रतिमा केशरवानी, नीलमा केशरवानी, प्रीती केशरवानी, हिमांशु केशरवानी, टीकू केशरवानी, फूलचंद यादव, पद्मावती, श्रीमती निशा गुप्ता, श्रीमती पुनीता मिश्रा आदि सैकड़ो भागवत भक्त के साथ प्रयागराज स्थानीय श्रद्धालुजन, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अनाम स्नेह समाज के अनेक वरिष्ठजन भी उपस्थित रहे।

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