Narela Industrial Area : डीएसआईआईडीसी की लापरवाही से करोड़ों का नुकसान, जाने क्या हुआ था?….
नई दिल्ली। Narela Industrial Area : डीएसआईआईडीसी की लापरवाही से करोड़ों का नुकसान, जाने क्या हुआ था?…. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की आडिट रिपोर्ट में दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। डीएसआईआईडीसी ने बवाना और नरेला औद्योगिक क्षेत्र के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाया। इस कारण न केवल जन साधारण को परेशानी झेलनी पड़ी, बल्कि सरकार को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ।
Narela Industrial Area : बवाना, नरेला औद्योगिक क्षेत्र को सेवाएं देने में विफल
मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में पेश सीएजी आडिट रिपोर्ट से पता चला कि डीएसआईआईडीसी को 15 साल की अवधि के लिए बवाना और नरेला औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास, संचालन व रखरखाव की जिम्मेदारी मिली। डीएसआईआईडीसी ने इस काम के लिए बवाना इन्फ्रा डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स पीएनसी दिल्ली इंडस्ट्रियल इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड को यह काम आवंटित किया।
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लेकिन डीएसआईआईडीसी ने इन दोनों औद्योगिक इकाइयों के देय और भुगतान शुल्कों का कोई ब्योरा नहीं दिया और न ही लेखा परीक्षकों की ओर से रियायती राशि को हस्तांतरित करने से पहले आय-व्यय का आवश्यक प्रमाणीकरण सुनिश्चित किया। इन कंपनियों की संचालन और रखरखाव गतिविधियों पर किए गए खर्च का विवरण भी नहीं दिया गया। साथ ही, बिना मासिक रखरखाव शुल्क में वृद्धि किए इन्हें कई साल तक अनुचित वित्तीय लाभ दिया गया।
Narela Industrial Area : पार्किंग शुल्क के समायोजन में देरी की
नरेला औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी ने पानी व सीवर कनेक्शन शुल्क के नाम पर अनधिकृत तरीके से पैसे जुटाए और लोगों को समय पर सेवाएं भी उपलब्ध नहीं कराई। पार्किंग शुल्क के समायोजन में देरी की। बवाना औद्योगिक क्षेत्र में पानी, सीवर कनेक्शन शुल्क के साथ बिजली के बिलों के समायोजन में देरी की गई, लेकिन डीएसआईआईडीसी ने इन कंपनियों की लापरवाही को निरंतर नजरंदाज किया।
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दोनों औद्योगिक क्षेत्रों में ठोस कचरे का समय पर निपटान नहीं हुआ और निरंतर रूप से नालियों और सीवरों के जाम होने के कारण लोगों को भारी जलजमाव और गंदगी का सामना करना पड़ा। यहां लोगों को सेवाएं प्रदान कराने की पूरी जिम्मेदारी डीएसआईआईडीसी के पास थी, लेकिन डीएसआईआईडीसी ने न केवल थर्ड पार्टी कंपनी की गलतियां दबाईं, बल्कि इनसे दंड की वसूली भी नहीं की। इसके कारण सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ।