अंतराष्ट्रीय

भारतीय वायुसेना ( Air Force’s ) का मल्टी रोल फाइटर संभालेगा मोर्चा

नई दिल्‍ली. भारत के दोनों पड़ोसी चीन और पाकिस्तान भविष्य की लड़ाई के लिए अपने को तेज़ी से मज़बूत कर रहे हैं. चीन, पाकिस्तान की लगातार मदद कर रहा है और आर्थिक संकट से जूझता पाकिस्तान सैन्य ताक़त को बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. जबकि भारत है कि अभी भी उन्नत हथियारों की कमी से जूझ रहा है. मौजूदा सुरक्षा के लिहाज से भारतीय वायुसेना( Air Force’s )  के लिए सैंगशन फाइटर स्ट्रैथ है 42 लेकिन फ़िलहाल हमारे पास सिर्फ 31 फाइटर स्‍क्‍वाडर्न है; और अगर नए विमान नहीं आए तो 2035 तक ये और कम हो जाएगी. अगर चीन की वायुसेना की ताक़त पर नज़र डालें तो चीन ने अपने सभी पुराने फाइटर एयरक्रफ्ट को 4.5 से 5वीं पीढ़ी के विमानों से बदलना शुरू कर दिया है.

पिछले साल ही अमेरिकी मिनिस्ट्री ऑफ डिफ़ेंस की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि चीनी वायुसेना के पास 2250 विमान है जिनमें 1800 फाइटर एयरक्रफ्ट हैं और जिनमें 800 से ज़्यादा चौथी श्रेणी के हैं और अब तो पाँचवीं श्रेणी के विमान J-20 को भी अपनी वायुसेना में शामिल कर चुका है, लेकिन कितने J-20 शामिल किए गए हैं. इस पर कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. पश्चिमी मीडिया में छपी कई रिपोर्ट के मुताबिक़ 100 ज्यादा J-20 एयरक्रफ्ट चीन की वायुसेना में शामिल किए जा चुके हैं. पिछले साल से ही चीन ने इसके प्रोडक्शन को तेज किया. हर साल तक़रीबन 125 J-20 और FC-31 का प्रोडक्शन करने का लक्ष्य है. यानी 2025 तक 500 के क़रीब 5वीं श्रेणी के फ़ाइटर चीन के पास होंगे. FC-31 कैरियर बेस्ड पांचवीं श्रेणी का फाइटर एयरक्रफ्ट है.

वायुसेना ने नए मल्टी रोल फाइटर एयरक्रफ्ट की ख़रीद की प्रक्रिया तेज की
इसी के चलते वायुसेना ने नए मल्टी रोल फाइटर एयरक्रफ्ट की ख़रीद की प्रक्रिया तेज कर दी है. रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से पहले ही RFI यानि रिक्वेस्ट फ़ॉर इंफ़ॉरमेशन जारी किया था और अब रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से अगले 3-4 महीने में AON भी जारी किया जा सकता है एक्सेपटंस ऑफ नेनेसिटी किसी भी सैन्य ख़रीद प्रक्रिया का दूसरा चरण है. इस 114 MRFA की रेस में रूस की सुखोई 35 और मिग 29 , फ़्रांस का रफाल, अमेरिका के F-16, F-18, स्वीडन की ग्रिपेन और यूरोप का युरोफाइटर टाइफ़ून शामिल है लेकिन ये खरीद मेक इन इंडिया के तहत किया जाएगा. यानी की कोई भी एयरक्रफ्ट चुना जाता है तो उसका निर्माण भारत में ही होगा. AON जारी होने के बाद पहला एयरक्रफ्ट को आने में 7 से 10 साल का वक्त लग सकता है.

स्‍वदेशी फाइटर तेजस से वायु सेना होगी और भी ज्‍यादा मजबूत
लगातार कम होते फाइटर स्‍क्‍वाडर्न की कमी को पूरा करने के लिए स्वदेशी फाइटर तेजस को वायुसेना में शामिल किया जा रहा है. जिसमें LCA तेजस अलग- अलग वेरियंट के कुल 123 एयरक्रफ्ट लेने हैं जिसमें LCA तेजस के 40 विमान आ चुके हैं, जबकि 83 LCA Mk 1 A फाइटर एयरक्राफ़्ट की डिलीवरी अगले साल जनवरी से आने शुरू हो जाएंंगे. तेजस Mk1 हर साल 6-7 एयरक्रफ्ट वायुसेना के मिलेंगे. इसके अलावा 36 राफ़ेल के आने से 2 स्क्वाडर्न की कमी भले ही पूरी हो गई हो. लेकिन अभी भी काफ़ी लंबा सफ़र तय करना बाकी है.

साल 2035 तक कुल 12 स्‍क्‍वाडर्न फेजआउट होंंगे
अगर मौजूदा फ्लीट की स्थिति पर नज़र डालें तो फिलहाल मिग के अलग- अलग वेरियंट जिसमें मिग 21 बिज , मिग 21 टाइप 96 और मिग 27 पहले ही फेज आउट हो गए हैं. बाक़ी बचे मिग 21 बाइसन के 3 स्‍क्‍वाडर्न 2025 तक पूरी तरह से फेजआउट हो जाएंगे और मिग 29 भी 2030 से फ़ैज़ आउट होना शुरू हो जाएगें. साथ ही जैगुआर 3 में से पहला स्क्वडर्न और मिराज 2000 के 3 स्‍क्‍वाडर्न भी फेज आउट होना शुरू हो जाएगा. जैगुआर के 6 स्‍क्‍वाडर्न भी फ़ैज आउट के लिए तैयार हो जाएगे. माना जाए साल 2035 तक कुल 12 स्‍क्‍वाडर्न फेजआउट हो जाएंगे.

अमेरिका के पास पांंचवीं पीढ़ी के F-35 स्टील्थ फाइटर
वहीं, भारतीय वायुसेना 5th जेनेरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट लिए डीआरडीओ के साथ मिलकर काम कर रही है .. AMCA प्रोजेक्ट भी सरकार की मंज़ूरी के लिए पूरी तरह से तैयार है इसके अलावा डीआरडीओ के ADA यानी एयरोनाटिक्ल डिज़ाइन एजेंसी और LCA Mk 2 पर भी तेज़ी से काम कर रहे हैं तो वहीं पहली बार एयरो इंडिया में अमेरिकी सरकार ने पाँचवीं पीढ़ी के F-35 स्टील्थ फाइटर को लेकर पहुंची तो MRFA की रेस में अपनी दावेदारी लेकर F-16 ने जमकर उड़ान भरी. लेकिन भारतीय वायुसेना ने ये साफ़ कर दिया कि पाँचवी पीढ़ी के विमान जो भी वायुसेना में भविष्य में शामिल होंगे वो स्वदेशी ही होगे.

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