चुनौतियों से डरने के बजाय उनका सामना हिम्मत से करना चाहिए..
तस्लीम बेनकाब
स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक से ऐक मुलाकात के दौरान तस्लीम बेनकाब ने कहा कि कई राज्य सरकारो ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य में फिर सख्ती करते हुए पूर्णबंदी के नियमों में कुछ बदलाव किया है। जहां ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, उन जिलों में सख्ती करते हुए दुकानों को खोलने और बंद करने का समय और दिन निर्धारित किया है।उधर, केंद्र सरकार ने भी देश के सबसे अहम यातायात साधन और आर्थिक व्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाने वाली रेल को भी लगभग बंद ही रखा है, बेशक मालगाड़ियों और कुछ विशेष ट्रेनें चल रही हैं। इसी तरह देश और प्रदेशों के कारोबार, व्यापार और आर्थिक व्यवस्था के साधन अभी भी दुरुस्त नहीं हो पाए हैं। बल्कि बुरी तरह टूटे हुए हैं।इस कारण एक तरफ सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं देश में बेरोजगारी और बेकारी बढ़ रही है और लोग बदहाली की त्रासदी में जी रहे हैं। केवल ऊपरी तबके को छोड़ दिया जाए तो इससे देश में लगभग हर वर्ग के लोग भारी आर्थिक संकट की चपेट में आ गए हैं। हालांकि सरकार आर्थिक मदद करने की बातें कर रही हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है।अब सरकार को चाहिए कि कोरोना के साथ चलते हुए देश के कारोबार, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, दुकानों को खोलने के साथ ट्रेनों को भी पूरी तरह दुरुस्त स्थिति में संचालित करे। लेकिन अगर कोरोना के खौफ से ऐसे ही दुकानों, कारोबार और आर्थिक व्यवस्था के स्रोतों को ठप्प रखा जाएगा तो वह दिन दूर नहीं है, जब आम जनता की मदद करने में सरकारें भी हाथ खड़े कर दें।
फिर देश में कोरोना मुकाबले काफी ज्यादा लोग भुखमरी और आर्थिक संकट का शिकार होकर मरना शुरू हो जाएंगे। जिस देश को हम बनाने की बात करते हैं, उसे बनाने की ओर अग्रसर होना चाहिए। चुनौतियों से डरने के बजाय उनका सामना हिम्मत से करना चाहिए।