DRDO की कार्बाइन आखिरी परीक्षण में सेना की ताकत बढ़ाने के लिए तैयार
भारतीय सेना (Indian Army) की ताकत में एक बार फिर से इजाफा हुआ है. DRDO द्वारा डिजाइन की गई 5.56×30 मिमी की सुरक्षात्मक कार्बाइन (Protective Carbine) ने सभी मापदंडों को पूरा करते हुए आखिरी चरण का ट्रायल (Trial) पूरा कर लिया है. कार्बाइन ने 7 दिसंबर को परीक्षणों के अंतिम चरण को सफलतापूर्वक (Successfully) पार कर लिया. सोमवार (Monday) को इस परीक्षण में हथियार ने ट्रायल्स (Trials) के आखिरी दौर में प्रवेश कर लिया था.
भारतीय सेना कई सालों से कार्बाइन (Carbine) पर काम कर रही थी. हाल ही में यह अंतिम चरण के ट्रायल (Lat Trial) में अटक गया था, जिसमें एक मध्य-पूर्वी हथियार (Weapon) का चयन किया गया था.
सेना के बेड़े में शामिल होने को तैयार कार्बाइन – कार्बाइन के सफलतापूर्वक हुए परीक्षण के बाद, यह डीआरडीओ में सेवा देने के लिए तैयार है. यह परीक्षण का अंतिम चरण था, जिसे गर्मियों में ज्यादा तापमान और सर्दियों में उच्च ऊंचाई पर किया गया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक प्रोजेक्टिव कार्बाइन ने सटीकता और विश्वसनीयता के मापदंडों को पूरा किया है. इसके बाद हथियार के सेना में शामिल होने का रास्ता भी साफ हो गया है.
100 मीटर की रेंज तक गोली दागने की क्षमता – JVPC एक गैस से चलने वाला सैमी-ऑटोमैटिक हथियार है. 3 किलो के इस हथियार में 100 मीटर की रेंज तक 700 आरपीएम की दर से गोलियां दागने की क्षमता है. इस हथियार को पुणे की लैब आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने भारतीय सेना के जीक्यूआरएस के आधार पर डिजाइन किया है. इस वजह से यह हथियार और भी ताकतवर है.
MHA के ट्रायल्स में भी हथियार सफल – यह हथियार एमएचए ट्रायल्स को भी पहले ही सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है. इसकी खरीद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और विभिन्न राज्य पुलिस संगठनों द्वारा शुरू कर दी गई है. आतंकवाद रोधी अभियान के लिए यह हथियार काफी अच्छा है. हथियार को कानपुर की एक छोटे हथियारों की फैक्ट्री में बनाया जाता है, जबकि गोला बारूद को पुणे की फैक्ट्री में बनाया जाता है. इस साल लखनऊ में हुए डिफेंस एक्सपो में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 5.56 x 30 मिमी जेवीपीसी का अनावरण किया था.