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वीरान आज है एटीएल कारखाना प्रतापगढ़

आटो ट्रैक्‍टर लिमिटेड यानी एटीएल कारखाना कभी प्रतापगढ़ जिले की पहचान से जुड़ा था। यहां बने टै्रक्टरों की आपूर्ति देश विदेश में होती थी। आज कारखाना वीरान है। उसके खंडहर खामोशी की चादर ओढ़े इस आस में हैं कि शायद किसी की नजर पड़ जाए और उसके आंगन फिर आबाद हो जाएं। जिले के लोग भी चाहते हैं यह कारखाना फिर से शुरू हो जाए जिससे लोगों को रोटी कमाने बाहर न जाना पड़े।

सदर क्षेत्र के कटरा में 40 साल पहले खुला था यह ट्रैक्‍टर कारखाना – जिले के सदर क्षेत्र के कटरा में करीब 40 साल पहले देश के विदेश मंत्री रहे राजा दिनेश सिंह के अथक प्रयासों से यह कारखाना खुला था। आटो टै्रक्टर लिमिटेड (एटीएल) नाम से मशहूर इस कारखाने में प्रताप ट्रैक्‍टर और आटोलैंड 4000 इंजन का उत्पादन होता था। घाटे के चलते 1990 में बंद हो गई कंपनी, गेटों पर लटक गए ताले अपने उत्पाद की गुणवत्ता के चलते देश विदेश में नाम कमा रही कंपनी 1990 में बंद हो गई। घाटा बताते हुए 20 नवंबर 1990 को कंपनी के गेट पर ताला जड़ दिया गया। करीब डेढ़ हजार कर्मचारी यहां काम करते थे वे बेकार हो गए। उनकी रोजी-रोटी जाती रही। कंपनी के बंद हुए दो दशक पूरे हो गए लेकिन किसी भी सरकार ने इसकी ओर पलटकर नहीं देखा।

उत्पाद में थी गुणवत्ता, काफी मजबूत था  ट्रैक्‍टर का इंजन – कटरा इलाके के रहने वाले श्रीचंद्र अग्रवाल, सौरभ कुमार, रामचंद्र वैश्य यादों में गोता लगाते हुए कहते हैं कि यहां बनने वाला प्रताप टै्रक्टर बनावट में काफी मजबूत होता था। उसका इंजन भी काफी दमदार होता था। जीपों के लिए यहां आटोलैंड-4000 इंजन बनाया जाता था। ताकतवर होने के कारण बाजार में काफी मांग थी।

देश-विदेश में थी यहां बने प्रताप ट्रैक्‍टर की मांग – प्रतापगढ़ के एटीएल कारखाने में बने ट्रैक्‍टरों की मांग देश में ही नहीं विदेशों में भी थी। कंपनी में बड़ी संख्या में जिले के लोगों को रोजगार भी मिला था। औद्योगिक विकास तेज होने की उम्मीद भी थी लेकिन कारखाने के अचानक बंद हो जाने से जनपद में उद्योग शून्यता जैसी स्थिति आ गई। कंपनी में उत्पादन फिर से शुरू करने और समायोजन के लिए लंबे समय तक कर्मचारी आंदोलित रहे लेकिन कोई बात नहीं बनी। कोर्ट के आदेश पर केवल दस-बारह कर्मियों को ही दूसरी कंपनियों में समायोजित किया गया।

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