उत्तर प्रदेश

संघ का नाम लेकर सुलतानपुर मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार: प्रिंसिपल पर कार्रवाई का सवाल !

सुलतानपुर -: कागजों पर सरकार के जीरो टॉलरेंस का डंका बज रहा है। लेकिन सच यह है कि योगी बाबा के जीरो टॉलरेंस नीति का राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपाल द्वारा पलीता लगते हुए ही भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कारनामे अंजाम दिए जा रहे हैं। इन्हीं भ्रष्टाचार में सुलतानपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स एजेंसी “लीड रिसोर्स सिक्योरिटी एंड मैन पावर सर्विसेज नाम की कंपनी” द्वारा प्रिंसिपल डॉ सलिल श्रीवास्तव की मिली भगत से भ्रष्टाचार किया गया। स्टाफ नर्स की आपूर्ति के लिए बिना अनुभव वाली कंपनी को टेंडर दे दिया गया। जिसकी शिकायत महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा तक की है।

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सलिल श्रीवास्तव की भूमिका इसमें संदिग्ध है। लीड रिसोर्स सिक्योरिटी एंड मैन पावर सर्विसेज नाम की कंपनी इस विवाद के केंद्र में है। सप्ताह भर का समय बीत गया, भ्रष्टाचार को उजागर हुए, किन्तु शासन-प्रशासन में बैठे अधिकारी कंपनी व प्रिंसिपल दोनों पर कार्रवाई से बच रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रिंसिपल साहब संघ से जुड़े हैं, इसी कृपा पर शहर में नर्सिंग होम चलाकर लूट चलाने वाले चिकित्सक को अस्पताल लूटने का जिम्मा सौंप दिया गया। जिससे स्पष्ट है लूट का माल ऊपर तक पहुंच रहा इसलिए ही कार्रवाई में देरी बरती जा रही है….।।

लीड रिसोर्स सिक्योरिटी कंपनी के माध्यम से किया गया है भ्रष्टाचार -: संघ की आड़ में हो रही लूट

संघ का कार्य राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और चरित्र निर्माण का रहा है, लेकिन कुछ लोग संघ की छवि को ढाल बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज में लीड रिसोर्स सिक्योरिटी एंड मैनपावर सर्विसेज नाम की अनुभवहीन कंपनी को स्टाफ नर्सों की भर्ती का ठेका देकर भ्रष्टाचार किया गया। इस घोटाले की शिकायत महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा तक हो चुकी है, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय प्रिंसिपल पर संघ से जुड़े होने का कवच डाल दिया गया।

उत्तर प्रदेश सरकार के “जीरो टॉलरेंस” के दावे केवल कागजों में दिख रहे हैं, जबकि हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। सुल्तानपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में हुए भ्रष्टाचार का मामला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें आउटसोर्स एजेंसी और कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सलिल श्रीवास्तव की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। लेकिन जब इन पर कार्रवाई होनी चाहिए, तब संघ का नाम लेकर खुद को बचाने की कोशिश की जा रही है।

संघ की आड़ में हो रही लूट

संघ का कार्य राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और चरित्र निर्माण का रहा है, लेकिन कुछ लोग संघ की छवि को ढाल बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज में लीड रिसोर्स सिक्योरिटी एंड मैनपावर सर्विसेज नाम की अनुभवहीन कंपनी को स्टाफ नर्सों की भर्ती का ठेका देकर भ्रष्टाचार किया गया। इस घोटाले की शिकायत महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा तक हो चुकी है, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय प्रिंसिपल पर संघ से जुड़े होने का कवच डाल दिया गया।

संघ की नीतियों से विश्वासघात

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमेशा ईमानदारी, सेवा और पारदर्शिता पर बल दिया है, लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल जैसे लोग संघ का नाम लेकर अपनी ग़लतियों को ढंकने में लगे हैं। इनकी कार्यशैली न केवल संघ की मूल विचारधारा के खिलाफ है, बल्कि यह स्वयंसेवकों द्वारा किए गए पवित्र कार्यों को अपवित्र करने का प्रयास है।

भ्रष्टाचार की कमाई कहां तक पहुंच रही?

जब इस घोटाले का खुलासा हुआ, तो न शासन-प्रशासन ने कोई सख्त कदम उठाया, न ही किसी एजेंसी ने जांच शुरू की। इसका सीधा संकेत है कि लूट का पैसा ऊपर तक पहुंच रहा है, इसलिए कार्रवाई से बचा जा रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या संघ का नाम लेने से कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार से बच सकता है? अगर ऐसा होता रहा, तो संघ की छवि पर अनावश्यक कलंक लगाने वाले लोग ही सबसे बड़े अपराधी साबित होंगे।

संघ को बदनाम करने की साजिश

यह स्पष्ट है कि प्रिंसिपल और भ्रष्टाचार में संलिप्त अन्य लोग अपने बचाव के लिए संघ की छवि का दुरुपयोग कर रहे हैं। संघ का नाम लेकर खुद को पाक-साफ दिखाने वाले यह लोग संघ को बदनाम करने की साजिश में लगे हैं। यह आवश्यक है कि संघ के सच्चे स्वयंसेवक आगे आकर ऐसे भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करें, ताकि संघ की वास्तविक छवि और राष्ट्र सेवा की भावना पर कोई आंच न आए।

सरकार क्या जवाब देगी?

इस मामले में जनता को अब योगी सरकार और संघ नेतृत्व से कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है। क्या सरकार उन लोगों को बख्शेगी जो संघ के पवित्र कार्यों को बदनाम कर रहे हैं? या फिर ईमानदार शासन की मिसाल कायम करते हुए दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी? यह देखना अब बेहद अहम होगा।

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