‘शानदार डिप्लोमेसी है इसलिए सस्ते दाम(price…’)…’,

नई दिल्ली. भारत द्वारा रूस से सस्ते दाम (price…’) पर कच्चा तेल खरीदे जाने के सवाल पर भारत में जर्मनी के राजदूत डॉक्टर फिलिप एकरमैन ने दोटूक शब्दों में जवाब दिया है. उन्होंने साफ कहा है कि इससे ‘हमारा कोई लेना-देना नहीं है.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कम कीमत पर तेल मिल रहा है तो इसके लिए भारत को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.
जर्मन राजदूत एकरमैन ने कहा, ‘भारत द्वारा रूस से तेल खरीदे जाने से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. यह कुछ ऐसा है जो भारत सरकार तय करती है और जैसा कि आपको अगर बहुत कम कीमत पर यह मिल रहा है तो मैं इसे खरीदने वाली किसी भी सरकार को दोष नहीं दे सकता.’
एकरमैन ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की आगामी 25 और 26 फरवरी को होने वाली भारत यात्रा को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की
भारत बड़ी मात्रा में रूस से रियायती दरों पर खरीद रहा कच्चा तेल
चीन और अमेरिका के बाद भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है, जो ऐसे वक्त में रूस से रियायती दरों पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है, जब कई पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर हमले के कारण पर मास्को पर कई तरह की पाबंदियां लगा रखी है.
वहीं एकरमैन ने यह भी कहा कि ‘यूक्रेन संकट के लिए भारत किसी स्तर पर किसी समाधान के साथ आने के लिए एक बहुत ही उपयुक्त जरिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘लेकिन, मुझे नहीं लगता कि अभी इसका समय है. मैं यह पूरी सावधानी के साथ कह रहा हूं क्योंकि कल पुतिन ने जो कहा, उसे हमने सुना है. जब आप संघर्ष का समाधान खोजना चाहते हैं तो आपको इस समाधान को खोजने के लिए तैयार रहने के लिए दो पक्षों की जरूरत होती है.’
जर्मन राजदूत यहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भाषण का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उन्होंने पश्चिम पर यूक्रेन में युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया था. पुतिन ने कहा था कि ‘रूस बातचीत करने के विचार के लिए खुला था, लेकिन दावा किया कि मास्को को “बेईमान जवाब” मिले.
जर्मन दूत ने कहा, ‘पुतिन ने एक बार बातचीत या शांति शब्द का उल्लेख नहीं किया. भारत के पास बहुत ही कुशल कूटनीति है, बहुत अच्छी कूटनीति है, अगर वे आगे बढ़ना चाहते हैं तो उन्हें कदम बढ़ाने के लिए एक अच्छा क्षण खोजना होगा. मैं यही कह सकता हूं कि वह क्षण अभी नहीं है.’