प्रयागराज

देश के प्रथम सीडीएस बिपिन रावत को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

प्रयागराज । प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित ज्वाला देवी इण्टर कालेज में गुरुवार को भारत के विश्व विख्यात प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत व पत्नी मधुलिका रावत एवं ग्यारह अन्य अफसरों सहित हेलिकाप्टर दुर्घटना में निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
सिविल लाइन्स स्थित ज्वाला देवी इण्टर कॉलेज में विद्यालय प्रबन्ध समिति की सदस्या शारीरिक विभाग विभागाध्यक्ष इविवि डॉ.अर्चना चहल एवं वात्सल्य चिकित्सालय की निदेशिका डॉ. कीर्तिका अग्रवाल उपस्थित रहीं। डॉ. चहल ने जनरल रावत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे कठिन से कठिन परिस्थितियों मे बहुत ही साहसिक निर्णय लेने के लिए प्रसिद्ध थे। आज हम सभी ने सच्चे अर्थों में मां भारती का एक पराक्रमी योद्धा खो दिया। डॉ. कीर्तिका अग्रवाल ने श्रद्धांजलि अर्पित कर छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र की यह एक अपूर्णीय क्षति है जिसकी कभी पूर्ति नहीं की जा सकती। किन्तु आज हम सभी को दृढ़ प्रतिज्ञा करनी होगी कि जनरल रावत की बहादुरी, साहस, निर्णय क्षमता एवं उनके द्वारा बनाये गये कीर्तिमान पथ पर चल कर राष्ट्रहित में कार्य करने का प्रयास करेंगे।
विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम सिंह परिहार ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सीडीएस रावत का असामयिक निधन होना राष्ट्र के लिए अपूर्णीय क्षति है। राष्ट्र ने सच्चा सपूत को खोया है। उन्होंने राष्ट्र की उन्नति के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। आज हम सभी की सच्ची श्रद्धांजलि उनके प्रति तभी होगी जब उनके द्वारा स्थापित किए गए कीर्तिमान को बनाये रखेंगे। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी आचार्य, छात्र एवं कर्मचारी बन्धुओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
गंगापुरी रसूलाबाद स्थित ज्वाला देवी विद्यालय में देश के 26वें थल सेना अध्यक्ष और देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत के आकस्मिक निधन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र, आचार्य, कर्मचारी गण और विद्यालय के समस्त भैया बहनों ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। जनरल बिपिन रावत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश के प्रथम सीडीएस बिपिन रावत अपने सटीक और साहसिक फैसले लेने के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने कहा था कि पहली गोली हम नहीं चलाएंगे लेकिन उसके बाद हम गोलियां नहीं गिनेंगे। उन्होंने पूर्वोत्तर में उग्रवाद से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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