कानपुर. 7 अप्रैल का दिन वर्ल्ड हेल्थ डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है, लेकिन कानपुर के सरकारी हॉस्पिटल हैलेट में मरीजों के हाल बुरे हैं। इस मौके पर dainikbhaskar.com ने हैलेट उर्फ लाला लाजपतराय हॉस्पिटल का रियालिटी चेक किया, जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आईं। स्ट्रेचर नहीं मिलता, बोरी की तरह उठाए जाते हैं पेशेंट्स…
– यहां आने वाले मरीजों को इमरजेंसी वार्ड तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर अवेलेबल नहीं रहता।
– महिला हो या पुरुष, मरीज को उसके घरवाले अनाज की बोरी के समान दोनों तरफ से पकड़कर वार्ड तक लेकर जाते हैं।
– महिला हो या पुरुष, मरीज को उसके घरवाले अनाज की बोरी के समान दोनों तरफ से पकड़कर वार्ड तक लेकर जाते हैं।
मारपीट पर उतारू रहते हैं जूनियर डॉक्टर
– हॉस्पिटल की दुर्दशा पर बात करने के लिए कोई भी जिम्मेदार अधिकारी डॉक्टर नहीं मिलता। उनके फोन तक स्विच ऑफ रहते हैं।
– जूनियर डॉक्टर अगर किसी कैमरा मैन को वार्ड के भीतर फोटो खींचते देख मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं।
– जूनियर डॉक्टर अगर किसी कैमरा मैन को वार्ड के भीतर फोटो खींचते देख मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं।
45 सौ करोड़ का बजट, फिर भी सुविधाएं नहीं
– अखिलेश यादव ने स्टेट मेडिकल कॉलेज और उससे रिलेटेड मेडिकल यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूशन्स के लिए करीब 4572 करोड़ रुपए का बजट रखा है, जो कि साल 2015-16 से लगभग 17 सौ करोड़ रुपए अधिक है।
– इसके अलावा मुख्य्मंत्री ने सावर्जनिक चिकित्सा सेवाओं पर विशेष जोर दिया है। गरीब, लो-इनकम और मिडल क्लास फैमिली के लिए क्वालिटी मेडिकल सर्विसेस फ्री या नॉमिनल फीस पर अवेलेबल करवाने का प्रावधान इस साल के बजट में रखा है।
– इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों की हालत खस्ता है।
– इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों की हालत खस्ता है।
1950 से मनाया जा रहा है हेल्थ डे
– वर्ल्ड हेल्थ डे की शुरुआत 1948 में जिनेवा से हुई थी।
– लेकिन पूरी दुनिया में एक साथ इस दिन को साल 1950 में मनाया गया।
– वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन हर साल एक बिमारी को टारगेट करके हेल्थ डे को इंटरनेशनल और नेशनल स्तर पर आयोजित करता है।
– 2016-17 की थीम है ‘बीट डायबटीज’।
– लेकिन पूरी दुनिया में एक साथ इस दिन को साल 1950 में मनाया गया।
– वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन हर साल एक बिमारी को टारगेट करके हेल्थ डे को इंटरनेशनल और नेशनल स्तर पर आयोजित करता है।
– 2016-17 की थीम है ‘बीट डायबटीज’।