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हेट स्पीच: नफरत फैलाने वालों पर होगी….

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि उनको भी हरिद्वार और नई दिल्ली में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों के आरोपों से संबंधित याचिका में पक्षकार बनाया जाए। हिंदू सेना और हिंदू फ्रंट फार जस्टिस नाम के दोनों संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप की अनुमति के साथ आवेदन दाखिल किए हैं। सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले में केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किए थे।

हेट स्पीच के मामले में दो हिंदू संगठनों की सुप्रीम कोर्ट से गुहार

गैर सरकारी संगठन ‘हिंदू सेना’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के जरिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कराया। इसमें हिंदू समुदाय और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ भी कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने के लिए असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की गुजारिश की गई है।

ओवैसी समेत इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने की मांग

साथ ही तौकीर रजा, साजिद राशिदी, अमानतुल्ला खां, वारिस पठान समेत अन्य के खिलाफ भी ऐसे भाषणों के लिए कार्रवाई किए जाने की गुजारिश की गई है। हिंदू संगठनों की ओर से असदुद्दीन ओवैसी, तौकीर रजा, साजिद राशिदी, अमानतुल्ला खां, वारिस पठान समेत अन्य के खिलाफ हिंदू समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप लगाए गए हैं।

‘हिंदू सेना’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपने आवेदन में हिंदू समुदाय और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ दिए गए कथित हेट स्घ्पीच की जांच के लिए विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किए जाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। वहीं दूसरे संगठन ‘हिंदू फ्रंट फार जस्टिस’ ने वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर करके ऐसी ही गुहार लगाई है।

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यही नहीं इस याचिका में कई मुस्लिम नेताओं के कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के इंटरनेट लिंक भी उपलब्ध कराए गए हैं। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय में पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश की याचिका में 17 और 19 दिसंबर 2021 को हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए कथित रूप से नफरत पैदा करने वाले भाषणों का उल्लेख किया गया था।

इस याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए थे। याचिका में हेट स्पीच से निपटने के सर्वोच्च अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराए जाने की मांग की गई थी।

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