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हिमाचल (Himachalमें ‘झाड़ू फेरने’ की तैयारी में आप

शिमलाः पंजाब के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बाद आम आदमी पार्टी की नजरें अब अन्य राज्यों के साथ-साथ हिमाचल (Himachal)प्रदेश पर भी हैं. पार्टी इस पहाड़ी राज्य में आगामी चुनाव को देखते हुए जमीनी स्तर पर काम में जुट गई है. पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस के स्थानीय स्तर के प्रभावशाली नेताओं को अपने पाले में खींचने की कवायद शुरू कर दी है. पार्टी की टीमें जिलेवार दौरा कर रही हैं. अपनी-अपनी पार्टी से असंतुष्ट नेताओं की लिस्ट बनाकर उनसे बातचीत की जा रही है. मुमकिन है कि इनमें से कई नेता जल्द ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी की झाड़ू थाम सकते हैं. आप के तेवर देख कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी में भी चिंता बताई जा रही है.

पंजाब की जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी ने हाल ही में ऐलान किया था कि वह हिमाचल प्रदेश में न सिर्फ आगामी नगर निगम चुनाव लड़ेगी बल्कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी उतरेगी. इसकी तैयारी के लिए आप के वरिष्ठ नेताओं ने हिमाचल में पार्टी का आधार मजबूत करने के लिए दौरे शुरू कर दिए हैं. पार्टी सूत्रों से पता चला है कि दिल्ली की टीमें कांगड़ा और निचले हिमाचल के जिलों की यात्राएं कर रही हैं. इस दौरान वह उन नेताओं से मुलाकात कर रही हैं, जो आप में शामिल होने के इच्छुक हैं.

आप ने स्थानीय तौर पर रसूख रखने वाले कई नेताओं की लिस्ट बनाई है. उन्हें इंटरव्यू के लिए भी बुलाया जा रहा है. पार्टी सूत्रों का दावा है कि भाजपा और कांग्रेस के कई असंतुष्ट नेता आप की इन टीमों से मुलाकात कर चुके हैं. इनमें से कई नेता केजरीवाल के हिमाचल दौरे के वक्त आप में शामिल हो सकते हैं. ऐसे लोगों में कांगड़ा से प्रमुख नेता नरेश वरमानी भी शामिल हैं. हालांकि पार्टी की तरफ से इन लोगों के नाम गुप्त रखे जा रहे हैं. पार्टी चाहती है कि आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की यात्रा के दौरान ही इन लोगों के नाम सबके सामने आएं.

आप के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बीजेपी और कांग्रेस की इस वक्त कमजोरियां साफ दिख रही हैं. पहाड़ के लोगों को एक मजबूत विकल्प की तलाश है. पार्टी का मानना ​​है कि मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से लोग खुश नहीं हैं. ऐसे में आप को सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिल सकता है. दूसरी तरफ कांग्रेस गंभीर अंदरूनी कलह से जूझ रही है. पार्टी नेतृत्व तक पर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस राज्य में अपने वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह और जीएस बाली से पहले ही हाथ धो चुकी है. निचले हिमाचल में गुटबाजी ने पार्टी को पस्त कर रखा है. ऐसे में AAP इनकी जगह की भरपाई कर सकती है.

पार्टी के एक नेता का कहना था कि अगर हम चुनावों में नंबर 1 न बने, तब भी कम से कम हम प्रभावी विपक्ष बनने की कोशिश तो कर ही सकते हैं. आप का ये मिशन बीजेपी और कांग्रेस से लिए चिंता का विषय बन सकता है.

 

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