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‘पलट जाऊं’ प्रधान ने बताया कम ज्ञान वाला बच्‍चा !!

हरियाणा-  नूह हरियाणा के 22 जिलों में से एक. और यह हरियाणा ही नहीं देश के उन 48 जिलों में से भी एक है, जहां कोरोना टीकाकरण की दर सबसे कम है. सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि नूह में कोरोना टीकाकरण शुरू होने के करीब एक साल बाद भी अब तक सिर्फ 72% लोगों ने ही टीके की पहली खुराक ली है.

जबकि दूसरी खुराक लेने वालों की तादाद तो महज 35% ही है. इतना ही नहीं, अभी 10 जनवरी से 60 साल ऊपर वाले लोगों और अन्य अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को देशभर में कोरोना टीके (Corona Vaccine) की तीसरी यानी बूस्टर डोज लगनी भी शुरू हो चुकी है. लेकिन नूह जिला उसमें भी बहुत पीछे है. अब तक 821 लोगों को ही बूस्टर डोज लगी है.

नूह में बच्चों के टीकाकरण के आंकड़े भी चिंताजनक हैं. जिले में 15 से 17 साल की उम्र के करीब 90,000 बच्चे हैं. इनमें से अब तक 29,206 बच्चों को ही कोरोना टीके की पहली खुराक दी जा सकी है. इन आंकड़ों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने भी चिंता जताई थी. उन्होंने नवंबर-2021 में नूह में एक जनसभा की थी.

इसमें कहा था कि वे ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस जिले में कम टीकाकरण को देखकर चिंतित हैं. मुख्यमंत्री खट्‌टर ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से इस स्थिति को ठीक करने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है. इसके बाद स्थानीय प्रशासन की ओर से लोगों को विशेष रूप से यह बताना शुरू किया गया है कि सरकार ने राशन, पेट्रोल, पेंशन, बैंक सेवा आदि के लिए कोरोना टीकारण अनिवार्य किया है. बताया जाता है कि इससे टीकाकरण में कुछ सुधार हुआ है, हालांकि मामूली ही.

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टीका न लगवाने वालों की दलील हमारे बच्चे नहीं होंगे नूह (Nuh) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टर हर्षित गोयल ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत के दौरान कहते हैं, ‘अजीब तरह की दलीलें हैं लोगों की. इनमें एक बहुत आम है कि टीका लगवाया तो हमारे बच्चे नहीं होंगे.’ वे बताते हैं, ‘हम लोगों को इस बाबत जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन चूंकि नूह में साक्षरता दर भी बहुत कम है, इसलिए हमारे प्रयासों को उतनी तेजी से सफलता नहीं मिल पा रही है.’

इसी सामुदायिक केंद्र में तैनात एक अन्य स्वास्थ्यकर्मी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘इस इलाके में इंटरनेट वगैरह भी कम चलाना जाते हैं. इससे उन्हें कोविन एप या पोर्टल पर टीकाकरण के लिए अपना पंजीकरण कराने में भी दिक्कत होती है. इससे वे इस झंझट से बचने की कोशिश करते हैं. हालांकि हम यहां भी उनकी पूरी मदद कर रहे हैं.’

 

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