हमले के बाद बढ़ाई गई कैलाश विजयवर्गीय की सुरक्षा
पश्चिम बंगाल में बीते दिनों बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और कैलाश विजयवर्गीय के काफिले पर हुए हमले के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की सुरक्षा को बढ़ा दिया है। अब विजयवर्गीय को बुलेटप्रूफ गाड़ी दी गई है। उन्हें पहले से जेड कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई है।
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और विजयवर्गीय के काफिले पर गुरुवार को उस समय हमला हुआ था, जब वे आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने के लिए डायमंड हार्बर जा रहे थे। इस दौरान, उनकी गाड़ियों पर पत्थरबाजी हुई थी। विजयवर्गीय ने पूरी घटना का वीडियो भी शेयर किया था। वीडियो में बाहर से गाड़ी के ऊपर पत्थर फेंकते हुए लोग दिखाई दे रहे थे। बीजेपी ने हमले के पीछे टीएमसी का हाथ बताया था, जिसे ममता बनर्जी ने खारिज कर दिया था।
‘सत्ता में लौटने के लिए हिंसा पर निर्भर ममता’
बीजेपी महासचिव और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सत्ता में लौटने के लिए हिंसा पर निर्भर रहने का आरोप लगाया। उन्होंने रविवार को चुनाव आयोग से अपील की कि पश्चिम बंगाल में वर्तमान राजनीतिक हिंसा एवं आतंक के माहौल पर पूर्ण विराम लगाने के लिए तत्काल केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना चाहिए। अगले साल अप्रैल-मई में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के बंगाल के रणनीतिकार ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि भय एवं हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
हमले के बाद से टीएमसी और बीजेपी आमने-सामने
काफिले पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कथित कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किए जाने को लेकर दोनों दलों के बीच वाकयुद्ध चल रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नड्डा पर भीड़ के हमले को लेकर शनिवार को तीन आईपीएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति मांगी थी। ये तीन अधिकारी — भोलानाथ पांडे (डायमंड हार्बर के पुलिस अधीक्षक, प्रवीण त्रिपाठी (उपमहानिरीक्षक, प्रेसीडेंसी रेंज) और राजीव मिश्रा (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, दक्षिण बंगाल) नौ और दस दिसंबर को पश्चिम बंगाल की यात्रा कर रहे बीजेपी अध्यक्ष की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे। तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल के तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने के वास्ते उन्हें मुक्त करने पर आखिरी निर्णय राज्य सरकार का ही होगा।