धर्म - अध्यात्म

स्वच्छता एवं आरोग्य की देवी हैं शीतला माता(Sheetla Mata ) 

शीतला अष्टमी: इस साल शीतला अष्टमी व्रत 25 मार्च दिन शुक्रवार को है. शीतला अष्टमी को बसोड़ा भी कहते हैं क्योंकि शीतला माता (Sheetla Mata )  की पूजा के समय बासी पकवानों का भोग लगाते हैं. पंचांग के आधार पर चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी ति​थि को शीतला अष्टमी व्रत रखते हैं. यह होली के आठ दिन बाद होता है. इस दिन शीतला माता की विधि विधान से पूजा करते हैं और शीतला सप्तमी के दिन पूजा के लिए बनाए गए पकवानों का भोग लगाते हैं. शीतला माता को बासी प​कवानों का भोग क्यों लगाया जाता है? इसके बारे में जानते हैं.
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त 2022
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 24 मार्च, देर रात 12:09 बजे से
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन: 25 मार्च, रात 10:04 बजे
शीतला अष्टमी पूजा का शुभ समय: 25 मार्च को प्रात: 06:20 बजे से शाम 06:35 बजे तक
शीतला माता को बासी पकवानों का भोग
शीतला अष्टमी व्रत में शीतला माता को पूजा के दौरान बासी पकवानों के भोग लगाए जाते हैं क्योंकि शीतला माता को ठंडे और बासी पकवान ही प्रिय होते हैं. शीतला माता को भोग लगाने के लिए पकवान सप्तमी के दिन बनाकर रख लिए जाते हैं, ताकि अगले दिन भोग लगाया जा सके. शीतला अष्टमी व्रत के दिन सुबह में चूल्हा नहीं जलाते हैं. शीतला माता के भोग के लिए पुआ, पुड़ी, हलवा, गन्ने के रस और चावल से बनी खीर या गुड़ वाली खीर बनाई जाती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी व्रत रखने और बासी भोग को ग्रहण करने से ज्वर, चर्म रोग, शीतला जनित रोग-कष्ट आदि से मुक्ति मिलती है. जिन पकवानों का भोग लगाते हैं, उनको ही परिवार के सदस्य प्रसाद स्वरुप ग्रहण करते हैं. इस दिन प्रसाद के साथ नीम के कुछ पत्ते भी खाते हैं. शीतला माता के एक हाथ में नीम के पत्ते होते हैं. नीम में औषधीय गुण होते हैं. इसके सेवन से व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से सुरक्षित रहता है.

शीतला माता की कृपा से व्यक्ति निरोगी रहता है. वे स्वच्छता एवं आरोग्य की देवी है. अपने एक हाथ में शीतल जल से भरा हुआ कलश धारण करती हैं. एक हाथ में सूप और दूसरे हाथ में झाड़ू रखती हैं. ये सभी वस्तुएं स्वच्छता का प्रतीक हैं.

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