सिंचाई विभाग के जलाशयों, नहरों तथा खाली जमीनों पर सोलर पैनल प्लांट की स्थापना की जाय: डॉ0 महेन्द्र सिंह
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह ने कहा है कि सिंचाई विभाग के बड़े जलाशयों, नहरों, बांधों के आस-पास खाली जमीनों पर सौर ऊर्जा पैनल स्थापित करके विद्युत का उत्पादन किया जायेगा। इसके लिए सिंचाई विभाग तथा ऊर्जा विभाग के साथ समन्वय करके पूरे प्रदेश का सर्वे सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए भूमि चिन्हित करेगा। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा का उत्पादन पीपीपी मॉडल के आधार पर किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उ0प्र0 के लिए यह क्रान्तिकारी कदम होगा और सिंचाई विभाग बिजली उपयोग करने के बजाय आम जनता को सस्ती, सुरक्षित ग्रीन एनर्जी उपलब्ध कराने में सफल होगा। डॉ0 महेन्द्र सिंह आज सिंचाई विभाग मुख्यालय स्थित सभागार में सौर ऊर्जा उत्पादन की सम्भावनाओं पर आधारित प्रस्तुतिकरण एवं प्रस्ताव का अवलोकन करने के पश्चात अधिकारियों को निर्देशित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पानी पर तैरती सौर ऊर्जा के संकल्प को साकार करने के लिए कारगर रणनीति अपनाते हुए 15 दिन के अन्दर रिपोर्ट पेश किया जाय। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग, नेडा एवं ऊर्जा विभाग के अधिकारी आपस में समन्वय कर सिंचाई विभाग के जलाशयों के ऊपर तथा खाली जमीनों पर सौर पैनल स्थापित करने के लिए कार्य करना शुरू कर दें।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि सोलर ऊर्जा उत्पादन करने के लिए तेजी से कार्यवाही सुनिश्चित की जाय और इसके लिए सिंचाई एवं ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाकर पूरे प्रदेश का सर्वे कराया जाय और सोलर पैनल स्थापित किये जाने वाले स्थानों को चिन्हित कराया जाय। उन्होंने कहा कि इस मामले में विलम्ब नहीं होना चाहिए और जहां से भी इससे सम्बंधित अच्छी जानकारी प्राप्त हो, उसका उपयोग करते हुए रिपोर्ट तैयार की जाय। बैठक में बताया गया कि निदेशक नेडा श्री भवानी सिंह खंगरौत को ऊर्जा विभाग की ओर से तथा सिंचाई विभाग की ओर से विशेष सचिव श्रीमती प्रियंका निरंजन एवं मुख्य अभियंता आईएसओ श्री नवीन कपूर को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। डॉ0 सिंह ने कहा कि 7-8 महीने पहले सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों के साथ एक बैठक की गयी थी और उसमें सिंचाई विभाग के पास उपलब्ध जमीनों पर सौर पैनल स्थापित कर ऊर्जा उत्पादन की सम्भावनाओं पर विचार मंथन किया गया था। उन्होंने कहा कि देश व विदेश की कम्पनियां इस क्षेत्र में कैसे काम कर रही हैं उनसे जानकारी लेकर कार्यवाही शुरू करें। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए ठोस रणनीति तैयार करके प्रस्तुत की जाय।
उन्होंने कहा कि गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सौर ऊर्जा उत्पादन के तरीकों से भी मदद ली जा सकती है। डॉ0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि सिंचाई विभाग को लिफ्ट कैनाल, ट्यूबवेल आदि के संचालन के लिए ऊर्जा विभाग को भारी मात्रा में धनराशि चुकानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि सभी नलकूपों तथा अन्य प्रणालियों में मीटर लगाये जाएं, ताकि उनकी बिलिंग सही हो। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात की तरह नहरों के किनारे विन्ड एनर्जी तथा सोलर पैनल स्थापित किए जाएं, जिससे नहरों की खूबसूरती भी बढ़े। उन्होंने कहा कि गुजरात में नहरों, जलाशयों, नहर की पटरी एवं खाली जमीनों पर सोलर पैनल लगाये गये हैं, उनका भी अध्ययन किया जाय। मुख्यमंत्री के सलाहकार के0वी0 राजू ने नरोरा बैराज के निकट सिंचाई विभाग की लगभग 1000 एकड़ भूमि का सदुपयोग करते हुए सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित कराने के सम्बंध में जापान के निवेशकों द्वारा विभाग से अपेक्षित कार्यवाही एवं शासकीय कार्यप्रणाली के सम्बंध में मार्गदर्शन दिये जाने की बात कही। अपर मुख्य सचिव ऊर्जा श्री अरविन्द कुमार ने सौर ऊर्जा उत्पादन में सिंचाई विभाग को हर सम्भव सहयोग देने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग, सिंचाई विभाग के साथ समन्वय करके सोलर पैनल स्थापित करने वाले स्थानों के सर्वे एवं चिन्हित करने में पूरी मदद करेगा। अपर मुख्य सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन टी0 वेंकटेश ने कहा कि पानी पर तैरती सौर ऊर्जा के संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए जलाशयों पर फ्लोटिंग पैनल स्थापित करने से सिंचाई विभाग की मूल्यवान जमीन बचेगी इसके साथ ही वाष्पीकरण से जल की भी बचत होगी। इसके अलावा सोलर पैनल प्लांट से उत्पादित की गयी ऊर्जा से विभाग के पम्प कैनाल व ट्यूबेलों का संचालन करने से ऊर्जा विभाग को भुगतान की जाने वाली धनराशि की भी बचत होगी। इस मौके पर सचिव सिंचाई श्री अनिल गर्ग एवं विशेष सचिव सिंचाई श्रीमती प्रियंका निरंजन ने भी सुझाव दिये। मुख्य अभियंता आई0एस0ओ0 नवीन कपूर ने सोलर पैनल स्थापित करने से जुड़े विभिन्न उपायों पर विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि जलाशयों पर फ्लोटिंग सोलर पॉवर प्लांट लगाकर बिजली उत्पादन के साथ जलाशयों के होने वाले नुकसान को बचाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि ललितपुर और झांसी क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयुक्त बांधों में माताटिला, गोविन्द सागर, शहजाद, लहचुरा, सजनम, जामिनी, रोहिनी, खपराल, सपरार तथा पहुंज बांध उपयुक्त हैं। इस मौके पर प्रमुख अभियन्ता सिंचाई एवं विभागाध्यक्ष आर0के0 सिंह, विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद, प्रमुख अभियंता परिकल्प एवं नियोजन ए0के0 सिंह, मुख्य अभियंता ए0के0 सिंह, मुख्य अभियन्ता मध्य डी0के0 मिश्रा सहित सिंचाई, विद्युत एवं नेडा के अधिकारी उपस्थित थे।