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साइबर ठगों ने खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर !!

भोपाल. अगर आप भी इंटरनेट पर किसी भी कंपनी की वेबसाइट सर्च करते हैं, तो अब आपको सतर्क होने की जरूरत है. साइबर ठगों ने इंटरनेट पर अब नये तरीके का जाल बुना है. आपकी छोटी सी गलती आप पर भारी पड़ सकती है. इन दिनों साइबर ठग ओरिजिनल वेबसाइट्स में स्पेलिंग में हेरफेर कर फेक बेवसाइट बनाकर लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. इंटरनेट पर सर्च करने पर आप असली की जगह फेक वेबसाइट पर भी पहुंच सकते हैं और ठगी का शिकार हो सकते हैं. ऐसा ही मामला भोपाल से सामने आया है. जहां स्टेट बैंक के मैनेजर दर्शन दानी को साइबर ठगों ने ईमेल आइडी में हेरफेर कर अपने खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए.

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जानकारी के अनुसार, दर्शन दानी को एक ई मेल आया था. ई मेल में तीन बैंकों के खाता नंबर लिखे थे. मेल करने वाले ने खुद को सुराना मोटर्स का मालिक राजेंद्र सुराना बताया. उसने मैनेजर को फोन कर कहा कि इन खातों में 25 लाख 96 रुपये ट्रांसफर कर दीजिए. राजेंद्र सुराना की साख होने पर जल्दबाजी में मैनेजर ने पैसे ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद जब सुराना को मोबाइल पर मैसेज आया तो उन्होंने मैनेजर से जानकारी मांगी. इस पर जब मैनेजर ने ईमेल आइडी को चेक किया तो उसमें शब्दों में हेरफेर दिखा. ठग ने सुराना की मिलती जुलती आईडी बनाई थी.

ऐसे करें असली-नकली की पहचान

बता दें कि ब्रांडेड कंपनियां प्रोडक्ट्स की पैकिंग पर कुछ फीचर्स की जानकारी देती हैं, जैसे कोड्स, सीरियल या मॉडल नंबर, ट्रेडमार्क और पेटेंट आदि. जबकि नकली प्रोडक्ट्स पर इस तरह की जानकारी नहीं होती. आप ऑनलाइन भी असली और नकली प्रोडक्ट्स के नंबर चेक कर सकते हैं. वहीं, कंपनी के लोगो के जरिए भी आप असली और नकली प्रोडक्ट्स में पहचान कर सकते हैं. नकली प्रोडक्ट में कंपनी का लोगो, ब्रांड नेम, ट्रेडमार्क समेत पूरा पता, ईमेल, नंबर जैसी जानकारियां भी अलग होती हैं.

आपको बता दें कि इसी तरह असली वेबसाइटों के शब्दों में भी हेरफेर कर नकली वेबसाइट बनाकर फ्रॉड किए जाते हैं. यहां तक कि शॉपिंग बेवसाइट Amazon के O अक्षर को हटाकर 0 (जीरो) लगाकर ठगी करते हैं. ऐसे में इंटरनेट पर अमेजन तलाशने पर कई बार फेक यानी जीरो वाला साइट मिल जाता है. फर्जी वेबसाइट पर भी हूबहू ओरिजिनल वेबसाइट की तरह की ऑप्शन होते हैं. ऐसे में लोग झांसे में ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं. पैसे तो खाते से कट जाते हैं लेकिन सामान ग्राहक के घर तक नहीं आता. इसी तरह ब्यूटी प्रोडक्ट, कपड़े, खाने-पीने के सामानों में भी असली के नाम पर नकली माल बेचा जाता है. जैसे Adidas को Abibas के नाम पर ग्राहकों को चुना लगाया जाता है. ये काम इतना शातिराना अंदाज में किया जाता है कि एकबारगी तो असली नकली में फर्क करना मुश्किल होता है.

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