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शादी में कार्ड की जगह गमले देकर निमंत्रण दहेज़ में 101 पौधे !!!

अलवर – गांवों में दहेज़ प्रथा अभी भी अभिशाप बनी हुई है। ऐसे में सामाजिक कुरीतियों को दूर कर समाज में सकारात्मक सन्देश देने के लिए अलवर जिले के गांव बूढी बावल में परिजनों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अनूठी पहल करते हुए अपनी बहन की शादी में 1500 से अधिक पेड़-पौधे भेंट किए हैं। परिवार ने करीब 1400 लोगों को निमंत्रण दिया। निमंत्रण में कार्ड की जगह गमले सहित 1400 पौधे भेंट किए गए। वहीं शादी में परिजनों ने दहेज़ में बेटी के ससुराल पक्ष को 101 पौधे और ग्राम पंचायत को 11 छायादार वृक्ष देकर समाज में पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण पेश किया है। परिवार के इस प्रयास को काफी सराहना मिल रही है। गौरतलब है कि अलवर जिले के बूढी बावल निवासी रामकुंवर टहरकिया ने अपनी पोती सपना का विवाह रेवाड़ी के गांव ततारपुर इस्तमुरार निवासी विजय यादव के बेटे प्रवीण के साथ किया है। गांव में दहेज़ प्रथा के खिलाफ दुल्हन के भाई सुनील यादव ने पहल करते हुए यह पहल की है।
1500 से अधिक पौधों की सार-संभाल की – विवाह से कुछ दिन पूर्व उनके घर पर बड़ी संख्या में निमंत्रण स्वरूप देने के लिए पौधे आ गए थे। परिवार ने 15 दिन तक 1500 पौधों की सार-संभाल की। समय-समय पर खाद्य व पानी डालकर उन्हें हरा-भरा बनाए रखा। फिर अलवर सहित राजस्थान व हरियाणा के विभिन्न जिलों में घर-घर जाकर निमंत्रण में कार्ड की जगह पौधे बांटे। सुनील यादव ने बताया कि कार्ड छपाई में कागज का उपयोग होता है। उन्होंने पेड़ों को बचाने के लिए कागज का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि गमले पर ही दूल्हा-दुल्हन का नाम, विवाह के स्थान से सम्बंधित जानकारी लिखवा दी।
अब पेड़ पौधों को संभालेगी ग्राम पंचायत – विवाह में ग्राम पंचायत को भेंट किए गए छायादार वृक्षों व पौधों का दूल्हा पक्ष ने भी सराहना की है। उन्होंने भी दहेज़ प्रथा को समाप्त करने की बात कही। इस पहल के बाद हरियाणा के गांवों में भी शादी के दौरान समधी पक्ष को पेड़-पौधे देने की पहल की जाएगी। मेहमानों ने भी दहेज़ के अनर्गल खर्च व कुरीति को समाप्त करने की इस पहल की प्रशंसा की है।