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वैज्ञानिक मैरी क्यूरी के  पति ने  मेरी उपस्थिति तुम्हारे पिताजी को नागवार गुजरेगी’

लव लेटर : शायद कक्षा 6 या 7 होगी जब एक सवाल का जवाब हमने बस रट लिया था. टीचर पूछती थी रेडियम का अविष्कार किसने किया और हम जवाब दे देते थे- मैरी क्यूरी. ज्यादातर लोग मैरी क्यूरी के बारे में सिर्फ इतना ही जानते होंगे. इससे आगे की कहानी यह रही कि मैरी क्यूरी पहली ऐसी वैज्ञानिक थीं जिन्हें दो बार अपनी खोजों के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. फिर इस कहानी के साथ जुड़ती है उनकी प्रेम कहानी जो उनकी खोज और अविष्कारों जितनी ही खास है.
मैरी क्यूरी का जीवन
7 नवंबर को 1868 को पोलैंड में मैरी क्यूरी का जन्म हुआ था. उनके माता-पिता शिक्षक थे. उनकी मां गणित पढ़ाती थी और पिता विज्ञान. माता-पिता टीचर थे तो मैरी का भी पूरा ध्यान पढ़ाई में ही रहता था. अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद वह हायर एजुकेशन के लिए पेरिस चली गईं. यहीं उनकी प्रेम कहानी की शुरुआत हुई. यहां मैरी की मुलाकात फिजिक्स प्रोफेसर पियरे क्यूरी से हुई. उनकी प्रेम कहानी में ख़तों की अहम भूमिका रही. शादी के बाद जब दोनों अलग-अलग शहरों में थे, तब एक-दूसरे को खूब ख़त लिखते थे-
मैरी का ख़त पियरे क्यूरी के नाम-
मेरे प्यारे पति
मौसम बहुत बढ़िया है…सूर्य चमकता है, लेकिन तुम्हारे बिना मैं उदास हूं. जल्दी आओ. सुबह से रात तक तुम्हारे आने की आशा मुझे लगी रहती है, पर तुम्हें आता हुआ नहीं पाती. मैं ठीक हूं. जितना कर सकती हूं काम करती हूं. लेकिन पोयनकैरे की पुस्तक मैं जितना सोचती थी, उससे कहीं अधिक कठिन है.मुझे इसके विषय में तुमसे बात करनी है. जो भाग मुझे महत्वपूर्ण पर समझने में कठिन लगे हैं, उन्हें हम क्यों ना दोबारा इक्टठे पढ़ें.मैरी
प्रिये
मैं आने और तुमसे मिलने का फैसला न कर सका. पूरे एक दिन मैं हिचकिचाता रहा और अंत में ना जाने के निर्णय पर ही पहुंच पाया. तुम्हारे पत्र से पहले तो मुझे ऐसा लगा मानो तुम मेरा ना आना ही चाहती हो. दूसरे तुम तो मुझे कृपा करके तीन दिन साथ बिताने का मौका दे रही थीं और मैं जाने को तैयार भी हो गया था, पर तभी एक अजीब लज्जा ने मुझे घेर लिया. मुझे ऐसा लगा कि मैं तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध तुम्हारा पीछा करने चला हूं.अंत में जिस बात ने न जाने का फैसला मुझसे कराया वह यह थी कि मुझे लगभग पूरा विश्वास हो गया कि मेरी उपस्थिति तुम्हारे पिताजी को नागवार गुजरेगी.

अब अवसर बीत चुका है और मुझे अफसोस है कि मैं क्यों ना चला गया. क्या इससे हमारी आपसी मित्रता दुगनी ना हो गई होती? यदि हम तीन दिन साथ बिताते तो क्या हमें वियोग के इन अगले ढाई महीनों में एक-दूसरे को न भूल पाने का उत्साह ना मिलता?तुम्हारा अनुरागी मित्रपियरे क्यूरीजब मैरी फ्रांस गई थीं तो पियरे ने मैरी को अपनी लैब में काम करने के लिए जगह दी. एक साथ काम करते हुए मैरी और पियरे को प्यार हो गया. दोनों में गहरा प्रेम होने के बाद भी शादी की बात इस बात पर अटक जाती थी कि मेरी पोलैंड नहीं छोड़ना चाहती थीं और पियरे फ्रांस. पियरे ने धीरज से काम लिया और आखिर में मैरी ही उनके साथ फ्रांस आकर रहने लगीं. 26 जुलाई 1895 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए. शादी के बाद भी मैरी लैब में काम करती थीं. पति के साथ मिलकर ही उन्होंने रोडियो एक्टिविटी की खोज की थी.

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