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रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ा जंग का खतरा

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ा जंग का खतरा,  रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन सीमा पर रूस ने एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। अमेरिका समेत कई देशों ने आशंका जताई है कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। युद्ध की आशंका को देखते हुए ब्रिटेन और कनाडा ने भी यूक्रेन को सैन्य सहायता और युद्ध सामान मुहैया कराना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि रूस यूक्रेन पर कब्जा करना चाहता है।

अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन का साथ दे रहे

ग्लोबल फायरपावर कंट्रीज इंडेक्स 2022 के मुताबिक इस इंडेक्स में शामिल 140 से ज्यादा देशों में रूस को सैन्य ताकत के मामले में दूसरा स्थान दिया गया है। ब्रिटिश थिंक टैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने 1990 के दशक में चेचन्या के खिलाफ लड़ाई लड़ी और 2008 में जार्जिया अभियान चलाया जिसमें रूस के ‘उपकरण और प्रशिक्षण’ में कमियां उजागर हुई और रूस ने इन कमियों को दूर करने के लिए जी तोड़ प्रयास किए। मास्को ने अपने परमाणु उपकरणों को अपग्रेड किया है और नई हाइपरसोनिक और अंडरवाटर मिसाइल विकसित करना चाहता है।

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि रूस पर यूक्रेन पर हमला करने के बारे में इसलिए सोच रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रूस की सत्ता में बनाए रखने में मददगार साबित होगा। दूसरी तरफ यूक्रेन पश्चिमी देशों से अपने रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा है, जबकि रूस इसके खिलाफ है। यूक्रेन नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन का सदस्य नहीं है लेकिन उसके यूक्रेन से अच्छे संबंध है, यह बात रूस को अच्छी नहीं लगती।

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अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश इसके सदस्य हैं। रूस ने पिछले सप्ताह धमकी भरे लहजे में कहा था कि यदि नाटो रूस के खिलाफ यूक्रेन की जमीन का इस्तेमाल करता है तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। पूर्व अमेरिकी मरीन और विदेश नीति अनुसंधान संस्थान के फेलो राब ली के एक बयान के मुताबिक रूस अपने इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइल जैसे हथियारों से यूक्रेन की सैन्य इकाइयों को दूर से तबाह करने की क्षमता रखता है।

रूस के पास इतने आधुनिक हथियार हैं कि यह एक दिन में हजारों लोगों को हताहत करने की क्षमता रखता है। ब्रिटिश थिंक-टैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस की सैन्य ताकत शीत युद्ध के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद से रूस की सेना पहले के मुकाबले अधिक सक्षम है। इसके परमाणु हथियार और वायु सेना विशेष रूप से मजबूत हैं।

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