रूस और यूक्रेन के बीच तनाव में नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन, जाने क्या है मामला
मास्को। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव में नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन, जाने क्या है मामला रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो महीनों से तनाव है। रूसी सेना के करीब एक लाख 30 हजार सैनिक लगातार यूक्रेन से लगी सीमा पर युद्धाभ्यास में जुटे हैं। वहीं, यूक्रेन की तरफ से भी सीमाई शहर डोनेत्स्क और लुहांस्क में 20 हजार सैनिक मोर्चे पर तैनात किए गए हैं। अमेरिका ने तो यहां तक दावा किया है कि रूस 16 फरवरी तक यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
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हालांकि, इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुतिन को धमकी दी है कि अगर यूक्रेन पर हमला हुआ तो वे उसकी नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन को बंद करवा देंगे। बाइडन के इस एलान के बाद से ही इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर रूस से यूरोपीय देश जर्मनी तक जाने वाली पाइपलाइन अमेरिका कैसे बंद करा सकता है? और आखिर कैसे नार्ड स्ट्रीम 2 को लेकर दी गई धमकी रूस के बढ़ते कदमों को रोक सकती है?
गैस-तेल की सप्लाई और वह पाइपलाइन जिस पर अटकी है पूरे यूरोप-रूस की निगाहें
यूक्रेन पर हमले के खतरे को देखते हुए अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने भी रूस की सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती कर दी है। इसके अलावा नाटो गठबंधन में शामिल देश भी रूस को रोकने के लिए पूर्वी यूरोप में हथियार और सैनिकों को जुटा रहे हैं। हालांकि, रूस को यूक्रेन पर हमला करने से रोकने में इन कदमों को नाकाफी माना जा रहा है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीधा रूस से जर्मनी तक जाने वाली नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन को लेकर बयान जारी किया है।
बाइडन ने कहा कि अगर यूक्रेन पर हमला हुआ तो रूस की अहम गैस पाइपलाइन नार्ड स्ट्रीम 2 को रोक दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस और जर्मनी के बीच बनी इस पाइपलाइन को रोकन से न केवल रूस को नुकसान होगा, बल्कि जर्मनी की भी मुश्किलें बढ़ेंगी। इस पाइपलाइन का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन अभी चालू नहीं किया गया है। नार्ड स्ट्रीम 1200 किमी लंबी पाइपलाइन है।
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यह बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तर-पूर्वी जर्मनी तक जाती है। जर्मनी इस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के जरिए रूस से मिलने वाली प्राकृतिक गैस की सप्लाई दोगुनी करना चाहता है। 83 हजार करोड़ रुपये के खर्च से निर्मित इस पाइपलाइन का काम सितंबर 2021 में पूरा हो चुका है। हालांकि, अभी कुछ अहम मंजूरी मिलना बाकी है, जिसकी वजह से पाइपलाइन का उद्घाटन नहीं हुआ है।
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इस पाइपलाइन से जर्मनी को हर 55 अरब घन मीटर गैस की सप्लाई हो सकेगी, जिससे जर्मनी के 2.6 करोड़ घरों को ठंड के मौसम में भी गैस-पेट्रोल की आपूर्ति बिना रुके जारी रहेगी। इस प्रोजेक्ट का मालिकाना हक रूस की सरकारी कंपनी गैजप्रोम के पास है। रूस अभी नार्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन के जरिए जर्मनी को गैस भेजता है। इसकी क्षमता अभी सालाना 55 अरब घन मीटर गैस सप्लाई करने की है। नई पाइपलाइन से यह आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी।