यूपी के चुनावी आंच पर चढ़ा आलू!
नई दिल्ली. आगरा के नजदीक खंडौली में मोहम्मद आलमगीर का छह एकड़ का आलू का खेत है. वे इन दिनों असदुद्दीन ओवैसी से खासे नाराज हैं. इसलिए नहीं कि ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन यूपी का चुनाव लड़ रही है. बल्कि इसलिए कि ओवैसी के राज्य तेलंगाना ने यूपी से आलू की आवक पर रोक लगा दी है. ओवैसी तेलंगाना सरकार का समर्थन कर रहे हैं. आलू उत्पादक किसान समिति, आगरा के महासचिव आलमगीर सीधा सवाल दागते हैं, ‘तेलंगाना की सरकार और उसके फैसले का समर्थन करते हुए ओवैसी यूपी में किस हक से वोट मांग सकते हैं.’
आलमगीर का अनुमान है कि यूपी से रोज करीब 100 ट्रक आलू तेलंगाना जाता है. एक ट्रक में 50-50 किलो आलू के लगभग 500 बोरे होते हैं. इनमें भी करीब 50-60 ट्रक तो आगरा से ही जाते हैं. तेलंगाना के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक में भी उत्तर प्रदेश का आलू जाता है. यूपी से रोज आलू के कुल करीब 700-800 ट्रक निकलते हैं. इनमें से लगभग तीन-चौथाई दक्षिण के इन्हीं राज्यों में जाते हैं. वहीं तेलंगाना के कृषि मंत्री एस निरंजन रेड्डी अपनी सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहते हैं, ‘यूपी के किसान जो आलू हमें भेज रहे थे, वह कोल्ड स्टोरेज में रखा हुआ. पिछले साल का आलू है. जब हमारे किसानों की ही उगाई ताजा फसल हमारे पास उपलब्ध हो चुकी है, तो हम उनका पुराना आलू क्यों लें?’
यहां तीन बातें गौर करने की हैं. पहली- उत्तर प्रदेश में मध्य अक्टूबर से नवंबर की शुरुआत के बीच आलू बोया जाता है, जबकि फसल 20 फरवरी से 10 मार्च के बीच ली जाती है. फसल का करीब पांचवां हिस्सा ही सीजन के दौरान बिक पाता है. बाकी आलू कोल्ड स्टोरेज में रख दिया जाता है. उसे नवंबर तक बेचा जाता है. लगभग इसी दौरान हिमाचल प्रदेश (खासकर उना जिला), पंजाब (दोआबा बेल्ट), कर्नाटक (हासन, कोलार और चिकमंगलुरू), महाराष्ट्र (मांचर) आदि में उगाए जाने वाले आलू की नई फसल बाजार में आ जाती है.
दूसरी बात- आलू की फसल आम तौर पर 60-75 दिन तक ही चलती है. इसे 2-4 डिग्री सेल्सियस तापमान में 9-10 महीने तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जरूर जाता है, लेकिन वहां भी आलू इतने समय तक रखने रखे जाने लायक होता नहीं है.
और तीसरी- पिछले कुछ सालों से तेलंगाना में भी करीब 3,500-4,000 एकड़ में आलू बोया जा रहा है. खास तौर पर संगारेड्डी जिले के जहीराबाद में आलू की फसल अधिक होती है.