उत्तर प्रदेशधर्म - अध्यात्म
यहां है नागवासुकी का मंदिर, जानें नागपंचमी के दिन पूजा करने का महत्व
इलाहाबाद. सावन में त्योहारों की शुरुआत नागपंचमी से होती है। इस अवसर पर रविवार को यहां के दारागंज स्थित नागवासुकी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ शुरू हो गई। ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान कर भीष्म पितामह के दर्शन के बाद नागवासुकी मंदिर में शेषनाग का दर्शन करने से पापों का नाश होता है। साथ ही चना, मटर, फूल, माला और दूध चढ़ाने से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। क्या कहते हैं स्थानीय लोग…
– नागपंचमी के एक दिन पहले यहां बड़े कटोरे में दूध भरकर रख दिया जाता है। थोड़ी देर में ही कटोरे खाली हो जाता है।
– कहा जाता है कि दूध कैसे खत्म हो जाता है इसे देखने के लिए एक पंडा वहां मंदिर में छिप गया।
– उसने देखा कि पांच फन वाले शेषनाग दूध पी रहे थे।
– पंडे को देखकर उन्होंने कहा, ‘तू तो मेरा दर्शन कर लिया, लेकिन संसार नहीं देख पाएगा।
– उसी रात पंडा की मौत हो गई।
– कहा जाता है कि दूध कैसे खत्म हो जाता है इसे देखने के लिए एक पंडा वहां मंदिर में छिप गया।
– उसने देखा कि पांच फन वाले शेषनाग दूध पी रहे थे।
– पंडे को देखकर उन्होंने कहा, ‘तू तो मेरा दर्शन कर लिया, लेकिन संसार नहीं देख पाएगा।
– उसी रात पंडा की मौत हो गई।
कालसर्प दोष होता है खत्म
– इस मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
– ऐसी मान्यता है कि यहां नागवाशुकी के चौखट पर पूजा करवाने से कालसर्प दोष खत्म होता है।
– इस दिन कपड़े की गुड़िया बनाकर उसमें मटर, चना भरकर नीम की छड़ी से पीट कर गुड़िया का पर्व मनाया जाता है।
– ऐसी मान्यता है कि यहां नागवाशुकी के चौखट पर पूजा करवाने से कालसर्प दोष खत्म होता है।
– इस दिन कपड़े की गुड़िया बनाकर उसमें मटर, चना भरकर नीम की छड़ी से पीट कर गुड़िया का पर्व मनाया जाता है।