अंतराष्ट्रीय

यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो क्या होगा भारत पर असर?

वारसा. रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास 1,00,000 से अधिक सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है जिससे इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका तेज हो गई है. रूस ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि वह हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की ओर बढ़ रहा रहा है तथा इसके लिए तैयारी कर रहा है. यूक्रेन को लेकर अंतरराष्ट्रीय तनाव के बारे में कुछ जानने योग्य बातें हैं, जो शीत युद्ध की याद ताजा करते हैं.

इस बीच, तनाव बढ़ने पर यूक्रेन के अधिकारियों ने हालात को शांत करने की कोशिश की है. हालांकि, पूर्वी यूक्रेन में सैनिक और नागरिक बेबस स्थिति के साथ इंतजार कर रहे हैं कि युद्ध होता है या नहीं. उनका मानना है कि उनके भाग्य का फैसला दूर राजधानियों में राजनेता कर रहे हैं. इस युद्धग्रस्त क्षेत्र में 2014 से ही रूस समर्थक अलगाववादी लड़ाकों से लड़ाई जारी है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि यह ऐसा क्षेत्र है जहां रूस ने हजारों सैनिकों को इकट्ठा किया है और वह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा आक्रमण कर सकता है. ऐसी परिस्थिति में सवाल ये भी उठता है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो भारत पर इसका क्या असर होगा.
विशेषज्ञ मानते हैं कि युद्ध की स्थिति होने पर रूस को सहयोगियों की जरूरत होगी. इस समय में चीन उसका बड़ा सहयोगी माना जाता है. पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते चीन भी रूस का साथ दे सकता है. चीन इस बात का समर्थन भी कर रहा है कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनना चाहिए. ऐसे में अगर पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगता है तो चीन इसकी भरपाई कर सकता है जिससे चीन और रूस की नजदीकी बढ़ेगी जिससे भारत और रूस की दोस्ती पर बुरा असर पड़ सकता है.

भारत की करीब 60 फीसदी सैन्य आपूर्ति रूस से होती है जो कि बेहद अहम पक्ष है. हाल ही में भारत और रूस के बीच कई अहम रक्षा समझौते भी हुए हैं जिसमे एस400 मिसाइल सिस्टम और एके-203 असॉल्ट राइफल से जुड़े समझौते शामिल हैं. इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख में पहले ही भारत और चीन आमने-सामने हैं. इस परिस्थिति में भारत रूस के साथ संबंध बिगाड़ने वाला कोई जोखिम नहीं ले सकता.

वहीं अमेरिका भी भारत का अहम साझेदार है. कई जरूरी मौकों और मुद्दों पर अमेरिका ने हमेशा भारत का साथ दिया है. ऐसे में भारत न तो रूस के साथ बैर मोल ले सकता है और न ही अमेरिका के साथ. इसलिए यह स्थिति भारत के लिए भी कम संकटपूर्ण नहीं है.

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