अंतराष्ट्रीय

बाइडेन ने की अमेरिकी नागरिकों से यूक्रेन छोड़ने की अपील

वॉशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन में रह रहे अमेरिकी नागरिकों को चेताया है. उन्होंने नागरिकों से जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने की अपील की है. राष्ट्रपति ने कहा कि यह बहुत अलग हालात हैं चीजें तेजी से बदल सकती हैं. इससे पहले भी अमेरिका दावा कर चुका है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर आक्रमण कर सकता है. साथ ही बाइडेन इससे पहले भी संभावित सैन्य कार्रवाई को लेकर मॉस्को को चैता चुके हैं. अमेरिका ने नाटो सहयोगियों की मदद के लिए अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती का भी फैसला किया है.

बाइडेन ने अमेरिकी नागरिकों को मॉस्को के सात बड़े संघर्ष को लेकर चेतावनी दी है. ‘अमेरिकी नागरिकों को निकल जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया की बड़ी सेनाओं में से एक का सामना कर रहे हैं. यह बहुत अलग स्थिति है और हालात तेजी से बिगड़ सकते हैं.’ अमेरिका समेत कई देशों ने यूक्रेन पर आक्रमण की स्थिति में रूस पर पाबंदियां लगाने की चेतावनी दी है.

यूक्रेन, अफगानिस्तान संकट और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के प्रति चिंताओं के बीच क्वाड देशों के विदेश मंत्री शुक्रवार को मेल्बर्न में बैठक करेंगे. ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मॉरिस पायने ने वार्ता से एक दिन पहले बृहस्पतिवार को कहा कि बैठक कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके के वितरण, आतंकवाद से मुकाबला, समुद्री सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन में सहयोग पर केंद्रित होगी.

पायने ने यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि हिंद प्रशांत क्षेत्र के सभी देश अपने स्वयं के रणनीतिक निर्णय लेने में सक्षम हों. उनके इस बयान को क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के संदर्भ के देखा जा रहा है. पायने द्वारा आयोजित इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन , जापानी विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा शामिल होंगे.

अमेरिकी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एरिक कुरिला ने मंगलवार को सांसदों को आगाह किया कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो इससे सीरिया सहित पश्चिम एशिया में व्यापक अस्थिरता पैदा होने की आशंका है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि ईरान, अमेरिका और इस क्षेत्र में सहयोगियों के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है.

कुरिल्ला ने पश्चिम एशिया में शीर्ष अमेरिकी कमांडर के पद के लिए सीनेट में सुनवाई के दौरान सदन की सशस्त्र सेवा समिति से कहा कि चीन, मध्य कमान क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ा रहा है और वहां किए जाने वाले खर्च का विस्तार कर रहा है. इस क्षेत्र में वे देश भी शामिल हैं, जिनकी अमेरिका को अफगानिस्तान में चरमपंथी गतिविधियों पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए आवश्यकता है.

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