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बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) : चीनी ठिकानों पर अपने हमले कर देगा तेज !

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए)– पाकिस्तान चीनी निवेश बढ़ाने के लिए के लिए हाल में हुए समझौतों का पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जोरदार विरोध शुरू हो गया है। बलूचिस्तान को अलग देश बनाने के लिए संघर्ष कर रहे संगठन- बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने चेतावनी दी है कि वह चीनी ठिकानों पर अपने हमले तेज कर देगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान हाल की चीन यात्रा के दौरान चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरई) के तहत पाकिस्तान में कई नई परियोजनाओं में निवेश के करार हुए।

इमरान खान सरकार ने इसे अपनी एक बड़ी सफलता के रूप में पेश किया है। लेकिन बीएलए ने कहा है कि वह ग्वादार बंदरगाह समेत किसी भी जगह पर चीनी निवेश के खिलाफ है। उसने आरोप लगाया है कि चीनी कंपनियां पाकिस्तान की सेना के साथ मिल कर बलूचिस्तान के खनिज और ऊर्जा स्रोतों का दोहन कर रही हैं। उन्होंने बलूचिस्तान को उपनिवेश बना लिया है।

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लगातार कर रहा है हमला बीएलए –

चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) चीन के बीआरआई का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। चीन इसमें लगभग 60 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। लेकिन इस परियोजना से जुड़े ठिकानों की सुरक्षा को लेकर चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए इन ठिकानों पर पाकिस्तान सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है। बीएलए एक मजबूत संगठन है। पाकिस्तानी मीडिया में छपी रिपोर्टों के मुताबिक अब तक उसके हमलों में 100 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे जा चुके हैं। बीते दो फरवरी को बलूचिस्तान के पंजगुर और नोशकी जिलों में दो जगहों पर गोलीबारी हुई। बताया जाता है कि बीएलए ने ये हमले इमरान खान की चीन यात्रा के विरोध में किए। खान तीन फरवरी को चीन गए थे।

बीएलए ने पांच फरवरी को जारी एक बयान में दावा किया कि वे दोनों हमले उसके ‘ऑपरेशन गंजल’ के तहत किए गए। बीएलए का दावा है कि इस ऑपरेशन के तहत अब तक वह 16 ठिकानों पर हमले कर चुका है। लेकिन पाकिस्तान की सेना ने बीएलए के इस दावे का खंडन किया है। बल्कि उसका दावा है कि जवाबी कार्रवाइयों में उसने 20 उग्रवादियों को मार गिराया है।

व्यापार के लिए असुरक्षित ग्वादार बंदरगाह-

वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों के हवाले से कहा गया है कि बीएलए के कुछ उग्रवादी संभवतः सीमा पार कर ईरान चले गए हैं। उन पर्यवेक्षकों ने ईरान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी हुसैन शेख-ओ-सलाम की इस हालिया टिप्पणी को महत्त्वपूर्ण बताया है कि ग्वादार बंदरगाह व्यापार के लिए सुरक्षित नहीं है। शेख-ओ-सलाम ने चीन और पाकिस्तान को सलाह दी कि वे व्यापार मार्ग के रूप में ईरान में मौजूद चाबहर बंदरगाह का इस्तेमाल करेँ।

पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने बीते तीन फरवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक जो हथियार छोड़ गए, वे बीएलए के हाथ लग गए हैं। उन हथियारों से बीएलए पाकिस्तान के सुरक्षा बलों पर घातक हमले कर रहा है। इस बयान के बाद पाकिस्तानी मीडिया में ये कयास भी लगाए गए हैं अफगान तालिबान बीएलए की मदद कर रहा है।

पाकिस्तान के सीनेट की रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष मुशाहिद हुसैन सईद ने एशिया टाइम्स के कहा कि बीएलए ने बेशक इमरान खान की चीन यात्रा को ध्यान में रख कर ही अपने ताजा हमलों का समय चुना। जिस समय खान चीनी अधिकारियों को सीपीईसी परियोजना की सुरक्षा का आश्वासन दे रहे थे, तभी बीएलए ने संभवतः यह संदेश देना चाहा कि पाकिस्तान में निवेश करना सुरक्षित नहीं है।

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