बढ़ा दी ममता बनर्जी की चिंता?

कोलकाता : उत्तराखंड को हाल ही में एक नया मुख्यमंत्री मिला है। मार्च में सीएम पद की शपथ लेने वाली तीरथ सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। उनके इस्तीफे का करण बना चुनाव आयोग के द्वारा उपचुनाव स्थगित करने का फैसला। उत्तराखंड में भले ही इस्तीफा हुआ हो, लेकिन चिंता वाहां से मीलों दूर बंगाल में ममता बनर्जी की बढ़ गई है। ममता बनर्जी की पार्टी बंगाल विधानसभा चुनाव में भले ही चुनाव जीती हो, लेकिन ममता को नंदीग्राम सीट पर हार का सामना करना पड़ा है।
ममता बनर्जी को अगर मुख्यमंत्री पद बने रहना है तो छह महीने के भीतर में विधायक बनकर आना होगा। बंगाल में विधान परिषद नहीं है, इसलिए ममता के लिए चुनाव जीतने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर अस्थायी समिति की रिपोर्ट का समर्थन किया जिसमें विधान परिषद के गठन की बात कही गई है। वहीं, विपक्षी भाजपा ने इसका विरोध किया है।
राज्य के विधायी मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने सदन के कामकाज को संचालित करने की प्रक्रिया के नियम 169 के तहत प्रस्ताव,‘विधान परिषद के गठन के लिए अनुशंसा पर गौर करने की खातिर अस्थायी समिति की रिपोर्ट पर विचार’ को पेश किया।
विधान परिषद् के गठन के समर्थन के लिए मतदान हुआ जिसका सदन में मौजूद 265 सदस्यों में से 196 ने समर्थन किया और 69 ने विरोध किया। प्रस्ताव का विरोध करते हुए भाजपा विधायक दल ने कहा कि टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) पिछले दरवाजे की राजनीति करना चाहती है ताकि विधानसभा चुनावों में हारने के बावजूद नेता निर्वाचित हो जाएं।
भगवा दल ने यह भी कहा कि इस कदम से राज्य के राजस्व पर दबाव पड़ेगा। भाजपा के सुर में सुर मिलाते हुए आईएसएफ के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दिकी ने भी प्रस्ताव का विरोध किया।