प्रमुख दलों के प्रत्याशियों मुद्दों पर सियासत का मामला गरमाने !!

संतकबीनगर जिले की खलीलाबाद विधानसभा सीट की चुनावी तस्वीर इस बार थोड़ी अलग है। वर्ष 2002 से हर बार अपना नुमाइंदा बदलती रही इस सीट पर राजनीतिक दल भी नए प्रयोग करते रहे हैं। इस बार के चुनाव में ‘इमोशनल कार्ड’ के साथ हुई आम आदमी पार्टी की दस्तक भी खासी चर्चा में है। मुद्दों पर सियासत का मामला गरमाने से प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को भी अपनी चुनाव प्रचार की शैली में बदलाव लाना पड़ रहा है।
20 हजार बूथ पदाधिकारियों के साथ बूथ विजय सम्मेलन का आयोजन !!
भाजपा, सपा व बसपा ने बदले प्रत्याशी
वर्ष 2017 में इस सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे इस बार सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार उन्होंने बसपा के मशहूर आलम चौधरी को 16037 मतों के अंतर से हराया था। इस बार बसपा ने भी अपना प्रत्याशी बदलकर आफताब आलम को चुनाव मैदान में उतार दिया है। भाजपा ने अंकुर राज तिवारी, कांग्रेस ने अमरेन्द्र भूषण और आम आदमी पार्टी (आप) ने सुबोध यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है तो पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मो. अयूब खुद चुनाव मैदान में हैं।
दो बार सांसद रहे स्व. भालचंद्र यादव
‘आप’ के प्रत्याशी सुबोध यादव पूर्व सांसद स्व. भालचंद्र यादव के बेटे हैं। स्व. भालचंद्र यादव खलीलाबाद लोकसभा सीट से दो बार सांसद रहे हैं। वर्ष 1999 में वह सपा से और वर्ष 2004 में बसपा से सांसद चुने गए थे। वर्ष 2019 में उनका कैंसर से निधन हो गया। ‘आप’ सुबोध के जरिए क्षेत्र में अपनी सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश में है। यही वजह है कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद यहां जनसभा करने आए।
सीट पर बदलाव की पृष्ठभूमि से भी पार्टी उत्साहित है। इस सीट से वर्ष 2002 के चुनाव में बीजेपी के द्वारिका प्रसाद, 2007 में बसपा के भगवान दास, वर्ष 2012 में पीस पार्टी के डॉ. मो. अयूब और वर्ष 2017 में भाजपा के जय चौबे चुनाव जीतने में सफल रहे। यह विधानसभा सीट संतकबीनगर लोकसभा क्षेत्र में आती है, जो परिसीमन के बाद वर्ष 2008 में अस्तित्व में आया है। परिसीमन के बाद हुए पहले चुनाव में बसपा के भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी सांसद चुने गए थे। मौजूदा समय में भाजपा के प्रवीण कुमार निषाद सांसद हैं, जबकि वर्ष 2014 में भाजपा के ही शरद त्रिपाठी सांसद चुने गए थे। वर्ष 2019 के चुनाव में शरद त्रिपाठी का टिकट काट दिया गया था। बाद में उनका निधन हो गया।