चेन्नई में लगातार हो रही बरिश से आपको ये अंदाजा हो चुका होगा कि जलवायु परिवर्तन कितना भयावह हो सकता है। तमिलानडु के कई शहरों में पिछले 15 दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है। चेन्नई में दो दिन में बारिश का 100 साल पुराना रिकार्ड टूट गया है। प्रकृति की विनाशलीला को ये न्योता किसी और ने नहीं, हमने ही दिए। दो साल पहले ही हमने उत्तराखंड में बाढ़ की भयानक त्रासदी देखी थी, आज चेन्नई उसका गवाह बना है। हरिद्वार की ये तस्वीर आपको याद आ गई होगी। भगवान शिव की प्रतिमा पानी में डूब गई थे। कुछ ऐसे ही हालत चेन्नई में हैं। बीबीसी के मुताबिक, पंकज चौधरी ने मामल्लापुरम के पेरूमल मंदिर की तस्वीर पोस्ट की है जिसमें मूर्ति को लगभग पूरी तरह पानी में डूबा देखा जा सकता है। एक सांप ने मूर्ति के सर के ऊपर शरण ली है। वे कहते हैं तमिलनाडु के लिए प्रार्थना कीजिए। बाढ़ पीड़ितों के लिए सोशल मीडिया एक सहारा बनकर उभरा है। वे ट्विटर और फेसबुक पर तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं और मदद की गुहार लगा रहे हैं। चेन्नई के एक रेलवे स्टेशन की ये तस्वीर मंगलवार को ली गई है। ये तस्वीर ब्रज मोहन ने टि्वटर पर पोस्ट की है। उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु को आपकी मदद चाहिए। यहां बारिश ने पिछले सौ सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है। चेन्नई में राहत और बचाव कार्यों के लिए सेना को लगाया गया है। नेवी ने हेल्पलाइन जारी की है, जो 044-25394240 है। बारिश से तमिलानाडु में डेढ़ सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ रहात के लिए केंद्र ने तमिलनाडु सरकार को 936 करोड़ रुपए की मदद की है। ये तस्वीर चेन्नई के एक हॉस्पिटल के पास की है, बाढ़ में डूबने के कारण मरीजों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। जेट एयरवेज, एयर इंडिया और स्पाइसजेट चेन्नई से उड़ानें रद्द कर दी हैं। लोग ट्विटर पर इमरजेंसी नंबर शेयर कर रहे हैं, मदद मांग रहे हैं। दो साल पहले उत्तरखंड में आई बाढ़ में 5000 से अधिक लोग लापता हो गए थे। हजारों लोग बाढ़ के कारण विस्थापित हुए थे। उत्तराखंड में बाढ़ जून में आई थी, जबकि चेन्नई में दिसंबर में। जून भारत में बारिश के महीनों मे गिना जाता है, ऐसे में चेन्नई में सर्दियों में बारिश ने और चिंता में डाल दिया है। सवाल उठ रहा है कि ये बाढ़ महज बारिश का नतीजा है ये मानवीय गलतियों की सजा। 86 लाख आबादी का शहर चेन्नई बाढ़ से थम गया है। बाढ़ के लिए चेन्नई में हुए अतिक्रमणों को जिम्मेदार ठहाराया जा रहा है। विकास अंधाधुंध कई शहरों का विस्तार हुआ है, नालों और छोटी नदियों के किनारों पर अतिक्रमण कर बस्तियां बना ली गईं हैं। निकासी का कोई रास्ता न होने के कारण पानी शहर में ही जमा हो रहा है और नतीजा बाढ़ में दिख रहा है। पिछले वर्ष जम्मू और कश्मीर भी ऐसी ही भायवह बाढ़ का शिकार हो चुका है। जलवायु परिवर्तन कभी अत्यधिक बारिश के रूप में दिख रहा है, तो कभी सूखे के रूप में। प्रकृति के हमें लगातार चेतावनी दे रही हैं, इसे अनदेखा करना बहुत ही भयावह हो सकता है।