पाकिस्तान खुद को रौंदने वालों के नाम पर क्यों करता है नामकरण …
पाकिस्तान ने हाल में एक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया। इसका नाम उसने बाबर दिया है। यह नामकरण मुगल शासक बाबर के नाम पर किया गया है, जिसने भारत पर हमला कर मुगल साम्राज्य की नींव रखी थी। पाकिस्तान की अन्य मिसाइलों के नाम गजनवी, गोरी, अब्दाली, तैमूर आदि हैं। ये सब वे क्रूर आक्रमणकारी हैं, जिन्होंने समय-समय पर भारत में हमले कर भयंकर लूटपाट और मारकाट मचाई। इनमें तैमूर तो हिंदुस्तान में सबसे भयंकर कत्लेआम के लिए कुख्यात है। इसी कारण लोगों ने सैफ और करीना की ओर से अपने बेटे का नाम तैमूर रखने पर आपत्ति जताई थी।
हमलावर लुटेरों, दुष्कर्मियों और खूंखार हत्यारों पर गर्व करता है पाकिस्तान
पाकिस्तान अफगान, उजबेक, तुर्की मूल के हमलावर लुटेरों, दुष्कर्मियों और खूंखार हत्यारों पर न केवल गर्व करता है, बल्कि उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानता है। हालांकि इन सब हमलावरों ने मुख्य़तः उसी रास्ते भारत पर हमला किया, जहां आज पाकिस्तान स्थित है। जाहिर है कि इन आक्रांताओं ने सबसे पहले कत्लेआम और लूटपाट उसी हिस्से में मचाई जहां आज पाकिस्तान है, लेकिन पाकिस्तानी नीति-नियंताओं को इससे कोई मतलब नहीं। वे खुद पर हमला करने, अपने लोगों को गुलाम बनाने, उनका कत्लेआम करने और लूटपाट करने वालों को अपना सगा मानने की विचित्र मानसिकता से इस कदर ग्रस्त हैं कि ऐसे ही हमलावरों के नाम पर अपनी मिसाइलों और अन्य युद्धक सामग्री का नाम रखता है।
भारत और साथ ही आज के पाकिस्तान में हमला कर तबाही मचाने वाले कई हमलावर अफगानिस्तान से आए थे। अफगानिस्तान के लोग इससे हैरान हैं कि आखिर पाकिस्तान उनके लोगों के नाम पर अपनी मिसाइलों के नाम क्यों रखता है? 2006 में तो अफगानिस्तान के सूचना मंत्री मखदूम राहीन ने इस पर आपत्ति भी जताई थी कि पाकिस्तान ने अपनी मिसाइल का नाम उनके यहां के मोहम्मद गोरी के नाम पर क्यों रखा? उन्होंने गोरी और अब्दाली के नाम वाली मिसाइलों के नामकरण के विरोध में एक चिट्ठी भी लिखी थी।
इसमें कहा गया था कि पाकिस्तान उनके यहां के लोगों के नाम का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन मिसाइलों के लिए नामकरण के लिए नहीं, बल्कि स्मारकों, ऐतिहासिक स्थलों आदि के लिए। पाकिस्तान सरकार को इस चिट्ठी का कोई जवाब नहीं सूझा।
पहली बार जिला प्रशासन की झांकी का होगा प्रदर्शन
राजनाथ सिंह ने उठाया था सवाल
इसी 12 दिसंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी यह कहा कि पाकिस्तान में भारत विरोध की भावना किस हद तक बलवती है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने भारत पर हमला करने वालों के नाम पर अपनी मिसाइलों के नाम पर रखे हैं। उन्होंने सवाल किया कि पाकिस्तान से यह पूछा जाना चाहिए कि जिन आक्रांताओं ने आज के पाकिस्तान पर भी हमला किया, उनके नाम पर मिसाइलों के नाम रखने का क्या तुक? पाकिस्तान के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं, क्योंकि उसके अपने कोई प्रेरणास्रोत नहीं और जो हो सकते हैं उनसे वह घृणा करना पसंद करता है। इसीलिए वह कभी अफगानी मूल के खूंखार हमलावरों पर फिदा होता है और कभी अरब या फिर तुर्की मूल के हमलावरों पर। इसी कारण यह कहा जाता है कि पाकिस्तान दुनिया का ऐसा अभागा देश है, जो अपनी विरासत-अपनी धरती से ही नफरत करता है।
सिंध पर हमला करने वाले मोहम्मद बिन कासिम के नाम पर रखा बंदरगाह
पाकिस्तान किस तरह अपनी विरासत का अपमान करता है, इसका एक उदाहरण यह भी है कि सिंध पर हमला कर राजा दाहिर को पराजित करने वाले क्रूर और राक्षसी प्रवृत्ति के हमलावर मोहम्मद बिन कासिम के नाम पर उसने एक बंदरगाह का नाम रखा है और वह भी सिंध प्रांत में, जहां के तमाम लोग राजा दाहिर को अपना हीरो मानते हैं।
पाकिस्तान अपने लोगों को गुमराह करने के लिए इतिहास को भी तोड़ता-मरोड़ता है और अपने स्कूलों में ऐसे पाठ पढ़ाता है कि मुल्क की नींव आठवीं सदी में उस दिन पड़ गई थी, जिस दिन मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला किया था। वह इसके पहले के इतिहास का जिक्र इसलिए नहीं करता, क्योंकि फिर अपने लोगों को यह बताना पड़ेगा कि आज जहां पाकिस्तान है,