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नीट दाखिले में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने के फैसले से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला…..

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी और ईडब्ल्यूएस की सभी मेडिकल कालेजों में नीट दाखिले के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में ओबीसी के लिए 27 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 फीसद आरक्षण प्रदान करने के केंद्र सरकार के फैसले से संबंधित याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।

नीट-पीजी काउंसलिंग तत्काल शुरू करने की जरूरत

मालूम हो कि शीर्ष अदालत के समक्ष मामला लंबित होने के कारण नीट-पीजी काउंसलिंग रोक दी गई है। उधर नीट-पीजी काउंसलिंग तत्काल शुरू किए जाने की मांग करते हुए डाक्टरों के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। फेडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन ने लंबित याचिका में पक्ष बनाए जाने की गुजारिश करते हुए कहा है कि नीट-पीजी काउंसलिंग तत्काल शुरू करने की जरूरत है।

एसोसिएशन का कहना है कि प्रक्रिया के अंत में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण मानदंड में संशोधन से अंतिम चयन प्रक्रिया में और देरी होगी। फेडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि हर साल लगभग 45 हजार उम्मीदवारों को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर) के माध्यम से स्नातकोत्तर डाक्टरों के रूप में चुना जाता है। साल 2021 में इस प्रक्रिया को रोक दिया गया।

चूंकि इस साल किसी भी जूनियर डाक्टर को शामिल नहीं किया गया है इसलिए दूसरे और तीसरे वर्ष के पीजी डाक्टर मरीजों को देख रहे हैं। ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि डाक्टरों को हर हफ्ते 80 घंटे से अधिक काम करना पड़ रहा है। प्रथम वर्ष के स्नातकोत्तर डाक्टरों को शामिल करने में देरी से स्नातकोत्तर चिकित्सा कार्यबल में लगभग 33 फीसद चिकित्सकों की कमी हुई है।

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संगठन ने ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के मुद्दे पर कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से गठित की गई तीन सदस्यीय समिति का सुझाव उचित है कि आरक्षण के मौजूदा कार्यक्रम में बदलाव अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाना उचित होगा। आरक्षण के पेंच में फंसी नीट पीजी की काउंसलिंग पर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट से कोई आदेश नहीं आया।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत मांगते हुए कहा कि डाक्टर परेशान हैं और उनकी चिंता जायज है। कोर्ट काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत दे दे और ईडब्लूएस की सालाना आठ लाख रुपये आय सीमा के आधार व प्रक्रिया पर सुनवाई जारी रखे, सरकार सुनवाई में पूरा सहयोग करेगी और कोर्ट में विस्तृत ढंग से ब्योरा पेश करेगी।

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