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नन्ही सी जान ने कराह- कराह कर तोडा दम, दिल्ली के बड़े अस्पतालों में नहीं हुआ उपचार

नई दिल्ली :देश की राजधानी में करीब 8 घंटे तक तमाम नामचीन अस्पतालों के चक्कर काटने के बावजूद समय पर इलाज न मिलने के कारण दो साल के एक मासूम की मौत हो गई। उसके परिजन कई बड़े अस्पतालों में उसे लेकर दौड़े, लेकिन इलाज के लिए बेड कहीं नहीं मिल सका। आखिर नन्ही-सी जान ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। परिजनों ने उसकी मौत के लिए अस्पतालों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है।
बच्चे के परिजन अरविंद ने बताया कि शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे मजनूं का टीला निवासी  कृष्णा (2) खेलते समय छत से गिर गया था। घटना के तुरंत बाद उसके पिता भोगेंद्र और अन्य लोग उसे लेकर सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर गए। वहां प्राथमिक उपचार के बाद उसकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ तो डॉक्टरों से उसे एम्स ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया।

परिजनों ने आरोप लगाया कि वे बच्चे को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे तो डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया। उन्होंने उसे सफदरजंग अस्पताल ले जाने को कहा। परिजन मासूम को लेकर वहां पहुंचे तो डॉक्टरों ने कह दिया कि वेटिलेंटर उपलब्ध नहीं हैं। इसके बाद उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया गया।

आरएमएल में डॉक्टरों ने उनकी बात तक नहीं सुनी और बेड नहीं होने का हवाला देकर गेट से ही वापस कर दिया। परेशान होकर परिजन मासूम को लेकर लोकनायक अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी इलाज नहीं हुआ। मजबूरन उन्हें बच्चे को वापस सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर लेकर जाना पड़ा। यहां रात करीब 9:30 बजे उसने दम तोड़ दिया।

अरविंद ने बताया कि दोपहर दो बजे से देर रात तक भाग-दौड़ के बाद भी वे बच्चे को बचा नहीं पाए। दूसरी ओर, इस संबंध में पूछने पर सभी अस्पतालों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

अरविंद का कहना है कि मासूम कृष्णा की मौत के बाद आसपास रहने वाले लोगों में काफी आक्रोश है। शनिवार को वे लोग कैंडल मार्च निकालकर अस्पतालों की लापरवाही के प्रति विरोध जताएंगे।

 

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