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धरती के स्वर्ग को आतंकियों की फिर लगी नजर?

श्रीनगर :जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के लिए काम करने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) का नेटवर्क सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। कश्मीर में आतंकियों द्वारा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने के बाद सैकड़ों की संख्या में आतंकियों के ये मददगार पकड़े गए हैं। लेकिन कश्मीर के करीब साठ फीसदी हिस्सों में इनका नेटवर्क फैला हुआ है। इस तरह के जमीनी कार्यकर्ताओं की संख्या सात हजार से भी ज्यादा है।

ओजीडब्ल्यू न सिर्फ आतंकियों के लिए मुखबिर का काम करते हैं बल्कि उनके संदेश एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने और लॉजिस्टिक मदद के लिए भी काम करते हैं। खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में ओजीडब्ल्यू की ताजा गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया गया है कि यह आतंकियों तक सुरक्षा बलों की सूचनाएं पहुंचाने, पैसा इधर से उधर करने और सुरक्षित ठिकानों का भी बंदोबस्त करते हैं।

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि ओजीडब्ल्यू नेटवर्क दक्षिण कश्मीर में बहुत मजबूत है लेकिन यह कश्मीर के लगभग सभी इलाकों में है। कई बार आतंकियों के डर की वजह से ये मदद को तैयार होते हैं। लेकिन ताजा मामलों में कट्टरपंथ की वजह से कई युवा इस नेटवर्क में शामिल हुए हैं। ये आम लोगों के बीच रहकर काम करते हैं इसलिए इनपर जल्दी संदेह नहीं होता।

अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद भी बड़ी संख्या में ओजीडब्ल्यू की धरपकड़ हुई थी। लेकिन बहुत से लोगों को शपथ पत्र के बाद रिहा कर दिया गया था। बीते कुछ दिनों में आतंकियों की नई रणनीति को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर फिर से सक्रिय हुई हैं। सुरक्षा एजेंसियों, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस के अलावा एनआईए बड़े पैमाने पर इस नेटवर्क को ध्वस्त करने की कवायद कर रहा है। लेकिन माना जा रहा है कि ये बहुत आसान काम नहीं है।

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