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धमनियों का सख्त होना महिलाओं में ज्यादा खतरा

धमनियों का सख्त होना : इंसानी शरीर में धमनियों का सख्त होना उम्र के साथ एक नेचुरल प्रोसेस है. लेकिन फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ युवास्कुले की एक स्टडी में बताया गया है कि महिलाओं में उम्र के साथ ही हार्मोन, गर्भ निरोधक गोलियां , मासिक धर्म और मेनोपोज की भी धमनियों के सख्त होने में अहम भूमिका होती है. इंसानों में रक्त वाहिकाओं यानी ब्लड वेसल्स में धमनी, नस तथा कोशिका शामिल होते हैं, जिनसे ब्लड सर्कुलेशन एक खास दिशा में होता है. हार्ट का काम होता है, ब्लड को पंप करना और आर्टरी यानी धमनियां ब्लड को शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचाती हैं. इस क्रम में धमनी फैलती और सिकुड़ती है, जिससे ब्लड आगे बढ़ता है. यह प्रसार नाड़ी की गति के रूप में जाना जाता है. इसके लिए धमनियों को एक सीमा तक पर्याप्त रूप से लचीला होना चाहिए, जिससे कि पल्स वेव धमनियों की भित्ति को बिना कोई नुकसान आगे बढ़े. लेकिन बढ़ती उम्र के साथ जब धमनियां सख्त होने लगती हैं तो कार्डियोवस्कुलर डिजीज और उससे मौत का भी खतरा बढ़ता है.

यह बात सामने आ चुकी है कि महिला सेक्स हार्मोन ब्लड वेसल्स यानी रक्त वाहिकाओं की भित्ति के लचीलेपन के कारकों को रेगुलेट करता है. इसलिए माना जाता है कि युवा महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल ज्यादा होने से उनमें अपनी उम्र के पुरुषों की तुलना में कार्डियोवस्कुलर डिजीज (धमनी और हृदय रोग) का खतरा कम होता है. इस स्टडी में उम्र और होर्मोन वाले उत्पादों के इस्तेमाल को लेकर धमनियों की कठोरता में भिन्नता की स्टडी की गई.

युवा और मिडिल एज महिलाओं के दो डाटासेट को सम्मिलित किया. इससे महिलाओं के जीवन में हार्मोन की दृष्टि से विभिन्न अवस्थाओं के व्यापक विश्लेषण का मौका मिला. स्वाभाविक मासिक धर्म और गर्भ निरोधक गोलियों के इस्तेमाल के साथ ही मेनोपोज और होर्मोन थेरेपी का धमनियों की कठोरता पर असर का आंकलन किया गया.

इस स्टडी के लिए 19 साल से लेकर 58 साल उम्र वर्ग की महिलाओं को शामिल किया गया. बुजुर्ग महिलाओं की धमनी कठोर थी. पाया गया कि एस्ट्राडियोल और फालिकल उत्प्रेरक हार्मोन धमनियों की कठोरता से जुड़ा है, लेकिन हार्मोन के लेवल की तुलना में उम्र धमनियों की कठोरता में ज्यादा प्रभावी कारक रहा. परीक्षण में पाया गया कि हार्मोन की स्थिति का धमनियों की कठोरता से संबंध रहा. लेट फालिकुलर और ओवुलेशन वाले समय में मासिक धर्म की तुलना में प्लस वेव की क्षीणता ज्यादा तेज थी. यह भी पाया गया कि मेनोपोज के समय हार्मोन वाली गोलियां लेने के दौरान धमनी में ज्यादा लचीलापन होता है. जबकि मेनोपोज के बाद हार्मोन थेरेपी से धमनी कठोर होती है.

वस्कुलर फंक्शन में उम्र एक इंपोर्टेंड रेगुलेटर है, लेकिन हार्मोन की भी महिलाओं के विभिन्न उम्र में धमनियों के लचीलेपन में भूमिका होती है. इससे आने वाले समय में अंतर्जात और बहिर्जात हार्मोन का धमनियों की भत्ति पर क्या असर होता है और उसकी वर्किंग के बारे में भी बेहतर जानकारी मिलेगी. उससे हार्ट से जुड़ी बीमारियां यानी कार्डियोवस्कुलर डिजीज की रोकथाम का भी उपाय खोजा जा सकेगा.

 

 

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