दो किशोरों को मिला बाल शांति पुरस्कार
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने इन दोनों भाइयों के वायु प्रदूषण को दूर करने के प्रयासों की सराहना की. सत्यार्थी ने ही पिछले महीने द हेग में नव और विहान को बाल शांति पुरस्कार प्रदान किया था. सत्यार्थी कहते हैं, “बच्चों ने हमेशा दुनिया को रास्ता दिखाया है. वास्तव में दुनियाभर में बच्चों के साहस और बहादुरी का सबसे जरूरी वैश्विक मुद्दों से निपटने पर बहुत प्रभाव पड़ता है. मुझे खुशी है कि विहान और नव जैसे किशोरों ने प्रदूषण का मुद्दा उठाया है.’’
अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था किड्स राइट्स फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष मार्क डुलार्ट भी मानते हैं कि हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार का प्रभाव बढ़ा है और इसे प्राप्त करने वाले बच्चे अपने कार्यों से समाज पर प्रभाव छोड़ रहे हैं. वे कहते हैं-“हमने यह पुरस्कार इस विश्वास के साथ देना शुरू किया कि बच्चे भी दुनिया बदल सकते हैं. पुरस्कृत बच्चों के अलावा अन्य नामांकित बच्चों का प्रयास भी यह दिखाता है कि उनके कार्यों का व्यापक प्रभाव पड़ रहा है.”
उल्लेखनीय है कि 2020 में दिल्ली लगातार तीसरे वर्ष दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी. दमा पीड़ित विहान दिल्ली की खराब हवा के कारण अक्सर बीमार हो जाते थे. यही वजह थी कि दोनों भाई बाहर खेलने में असमर्थ थे. विहान का अस्थमा से पीड़ित होना दोनों भाइयों के लिए कोई बाधा नहीं बनी. दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल ढहने, कचरे और वायु प्रदूषण के बीच की कड़ी को समझने की प्रक्रिया ने दोनों भाइयों को वन स्टेप ग्रीनर बनाने के लिए प्रेरित किया.
यह एक ऐसी पहल थी जिसमें कचरे को अलग करना और कचरा पिकअप ड्राइव आयोजित करना शामिल था. सिर्फ 15 घरों से शुरू वन स्टेप ग्रीनर अब 1,000 से अधिक घरों, स्कूलों और कार्यालयों से कचरा इकट्ठा करने वाला अभियान बन गया. इसने 1,73,630 किलोग्राम कचरे का पुनर्नवीनीकरण किया है.
दोनों भाइयों द्वारा बनाई गई शिक्षण सामग्री का उपयोग दिल्ली के 100 से अधिक स्कूलों में किया जाता है और उन्होंने 45,000 से अधिक लोगों को कचरे के विषय पर जानकारियां दी हैं. वन स्टेप ग्रीनर में अब पांच कर्मचारी और 11 समर्पित युवा वालंटियर हैं जो ‘कचरा मुक्त भारत’ के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं.