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दिल्ली प्रतिबंध : प्रतिबंध हटाने की लंबे समय से मांग!!

मेट्रो व बस में सभी सीटों पर बैठकर यात्रा करने की है इजाजत, लेकिन आटो, टैक्सी, फटफट सेवा व मैक्सी कैब आदि में 19 अप्रैल से यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध लगा है। प्रतिबंध हटाने की लंबे समय से मांग हो रही है। अब दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की अगली बैठक में इस बारे में प्रस्ताव रखे जाने की उम्मीद है। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि इस सप्ताह इस बारे में विचार किया जा सकता है। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लाकडाउन 19 अप्रैल को लगाया गया था।

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उस समय से यह व्यवस्था लागू है कि आटो, टैक्सी, ई रिक्शा, ग्रामीण सेवा और फटफट सेवा में अभी दो यात्रियों की बैठ सकते हैं, जबकि मैक्सी कैब में पांच यात्री और आरटीवी में 11 यात्री तक बैठ सकते हैं। जबकि इन वाहनों में सवारियों के लिए सीटों की जो व्यवस्था है उसके तहत आटो में तीन, टैक्सी व ई-रिक्शा में चार-चार, फटफट सेवा, ग्रामीण सेवा व इको फ्रेंडली सेवा में छह-छह, मैक्सी कैब में 11 व आरटीवी में 25 सवारियों के बैठने की व्यवस्था है।19 अप्रैल को बसों और मेट्रो में भी सीटों की क्षमता से आधी सवारी बैठाने का आदेश दिया गया था।

डीडीएमए ने दी इजाजत-

कोरोना संक्रमण का असर कम होने पर डीडीएमए ने गत 25 जुलाई को आदेश जारी कर बसों और मेट्रो में सभी सीटों पर सवारियां बैठाने की इजाजत दे दी थी। यह छूट 26 जुलाई से लागू हो चुकी थी, कोरोना की तीसरी लहर में भी कुछ समय के लिए बस और मेट्रो में आधी सीटों पर बैठने की अनुमति डीडीएमए ने लागू की थी, पिछले सप्ताह से मेट्रो और बसों में फिर से सभी सीटों पर बैठकर यात्रा करने की अनुमति दे दी गई है। मगर आटो टैक्सी आदि में 19 अप्रैल से ही प्रतिबंध कायम है।

वहीं, आटो टैक्सी वालों का कहना है कि जब बस व मेट्रो में सभी सीटों पर बैठकर यात्रा करने की इजाजत है तो आटो टैक्सी आदि में क्यों नहीं? इन लोगों का दर्द है कि नियमों का उल्लंघन करने पर आटो टैक्सी वालों के चालान कट रहे हैं या फिर उन्हें सेवा पानी करना पड़ता है। बगैर पैसे दिए छूटता तो कोई नहीं है। भारतीय मजदूर संघ के संबद्ध दिल्ली ट्रांसपोर्ट यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्र सोनी का कहना है कि उनके लोगों को यातायात पुलिस के साथ साथ एसडीएम के अंतर्गत काम कर रहीं इंफोर्समेंट की सिविल डिफेंस वाली टीमें पकड़ रही हैं और दो हजार का चालान काट दे रही हैं।

आटो टैक्सी वालों का शोषण हो रहा है। मगर डीडीएमए को इसकी चिंता नहीं है। वह कहते हैं कि कोरोना जब बस और मेट्रो से नहीं फैल सकता है तो आटो टैक्सी वालों की सवारियों से कैसे फैल सकता है? उनका कहना है कि दो सवारी बैठाने में उन लोगों का खर्च नहीं निकल पा रहा है।

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